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काव्यशास्त्र
‘काव्यशास्त्र’ काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है।
वीभत्स रस
वीभत्स रस
बीभत्स भरत तथा धनञ्जय के अनुसार शुद्ध, क्षोभन तथा उद्वेगी नाम से तीन प्रकार का होता है।
वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा या घृणा है।
वीभत्स घृणा के भाव को प्रकट करने वाला रस है।
यह भाव आलंबन ,!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
भयानक रस
भयानक रस
भयानक कारणभेद से व्याजजन्य या भ्रमजनित, अपराधजन्य या काल्पनिक तथा वित्रासितक या वास्तविक नाम से तीन प्रकार का और स्वनिष्ठ परनिष्ठ भेद से दो प्रकार का माना जाता है।
भानुदत्त के अनुसार, ‘भय का परिपोष’ अथवा ‘सम्पूर्ण!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
प्लेटो पाश्चात्य काव्यशास्त्री
व्यवस्थित शास्त्र के रूप में पाश्चात्य साहित्यालोचन की पहली झलक प्लेटो (427-347 ई० पू०) के 'इओन' नामक संवाद में मिलती है।
प्लेटो पाश्चात्य काव्यशास्त्री
प्लेटो का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्नांकित है-
जन्म-मृत्युजन्म!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अरस्तू पाश्चात्य काव्यशास्त्री
अरस्तू पाश्चात्य काव्यशास्त्री
प्लेटो के शिष्य अरस्तू ने कलाओं को अनुकरणात्मक मानते हुए भी उनके महत्त्व को स्वीकार किया।
यह प्लेटो के विचारों से भिन्न दृष्टि थी।
प्लेटो के विचार जहाँ नैतिक और सामाजिक हैं, वहीं अरस्तू की!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न
भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न
काव्य हेतु
काव्य हेतु से तात्पर्य काव्य की उत्पत्ति का कारण है। बाबू गुलाबराय के अनुसार 'हेतु' का अभिप्राय उन साधनों सेे है, जो कवि की काव्य रचना में सहायक होते है। काव्य हेतु पर सर्वप्रथम् 'अग्निपुराण ' में विचार किया गया है।काव्य हेतु पर विभिन्न!-->…
रस के अवयव
रस के अवयव :-
रस के अवयव :- (1)स्थायी भाव :- (2)विभाव :- (1) आलम्बन विभाव - (2) उद्दीपन विभाव :-(3)अनुभाव:- !-->!-->!-->!-->!-->…
रस निष्पत्ति
रस निष्पत्ति काव्य को पढ़कर या सुनकर और नाटक को देखकर सहृदय स्रोता पाठक या सामाजिक के चित्त में जो लोकोत्तर आनंद उत्पन्न होता है, वही रस है।
रस के प्रमुख आचार्य :-(1) उत्पत्तिवाद :- (2)अनुमितिवाद :-!-->!-->!-->!-->!-->…
विलियम वर्डसवर्थ पाश्चात्य काव्यशास्त्री
विलियम वर्डसवर्थ का संक्षिप्त जीवन वृत्त निम्नलिखित है-
जन्म-मृत्युजन्म-स्थानउपाधिमित्रअन्तिम संग्रह1770-1850इंग्लैण्डपोयटलारिएटकोलरिजद प्रिल्यूड
वर्डसवर्थ का प्रथम काव्य संग्रह 'एन इवनिंग वॉक एण्ड डिस्क्रिप्टव स्केचैज' सन् 1793!-->!-->!-->!-->!-->…
जॉन ड्राइडन पाश्चात्य काव्यशास्त्री
जॉन ड्राइडन पाश्चात्य काव्यशास्त्री
जॉन ड्राइडन कवि एवं नाटककार थे। इनकी प्रमुख कृति 'ऑफ ड्रमेटी पोइजी' (नाट्य-काव्य, 1668 ई०) है।जॉन ड्राइडन को आधुनिक अंग्रेजी गद्य और आलोचना दोनों का जनक माना जाता है।ड्राइडन ने 'ऑफ ड्रेमेटिक पोइजी' की!-->!-->!-->…