देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न - inshot 20230518 1655201292218953129757730483 - हिन्दी साहित्य नोट्स संग्रह
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भाषा इतिहास

हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही ‘पद्य’ रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था ‘अवहट्ट’ से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ ने इसी अवहट्ट को ‘पुरानी हिन्दी’ नाम दिया।

देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1:भारतीय संविधान में किन अनुच्छेदों में राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख है?1 343-351तक ✅2 434-315 तक3 443-135 तक4 334- 153 तक। 2 हिंदी खड़ी बोली किस अपभ्रंश से

हिंदी की संवैधानिक स्थिति

राजभाषा की संवैधानिक स्थिति पर चर्चा करने से पहले हमें इतिहास के बारे में जानना होगा। राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति स्वतंत्र भारत के संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई और लगातार दो ढाई वर्ष तक संविधान निर्माण का

वीरगाथा काल : हिन्दी साहित्य का इतिहास आचार्य रामचंद्र शुक्ल

हमने हिंदी साहित्य की पाठ्य सामग्री को विशेष ध्यान देकर परीक्षा उपयोगी बनाई है। इस पोस्ट को बनाने में हमने " पंडित आचार्य श्री रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिंदी साहित्य का इतिहास ग्रंथ " की  पूरी मदद ली है । हमने कोशिश की है कि सार संक्षेप…

हिंदी साहित्य का काल विभाग

हिंदी साहित्य का काल विभाग जब कि प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब होता है, तब यह निश्चित है कि जनता की चित्तवृत्ति के परिवर्तन के साथ साथ साहित्य के स्वरूप में भी परिवर्त्तन होता चला जाता है । आदि

हिंदी कहानी के तत्व

हिंदी कहानी के तत्व 1. कथानककिसी प्रसंग का वर्णन करना इसमें जीवन के केवल एक अंश का वर्णन होता है इसमें किसी घटना का चित्रण भी शामिल होता है| 2. पात्र का चरित्र चित्रणकिसी भी कहानी में कई पात्र होते हैं यद्यपि पात्रों की संख्या सीमित

हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा

हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन परंपरा हिंदी में साहित्य का इतिहास लेखन की परम्परा की शुरुआत 19 वीं शताब्दी से ही मानी जाती है , लेकिन कुछ पूर्ववर्ती रचनाएं मिलती हैं जो कालक्रम व विषय-वस्तु

देवनागरी लिपि

प्राचीन नागरी लिपि का प्रचार उत्तर भारत में नवीं सदी के अंतिम चरण से मिलता है, यह मूलत: उत्तरी लिपि है, पर दक्षिण भारत में भी कुछ स्थानों पर आठवीं सदी से यह मिलती है। दक्षिण में इसका नाम नागरी न होकर नंद नागरी है। आधुनिक काल की नागरी या

हिन्दी की बोलियाँ

हिन्दी की बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, हड़ौती,भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाउँनी, मगही आदि प्रमुख हैं। इनमें से कुछ में अत्यन्त उच्च श्रेणी के

हिंदी की व्युत्पत्ति

हिंदी की व्युत्पत्ति हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द 'सिन्धु' से माना जाता है। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में

भारतीय आर्य भाषाएँ

यहाँ पर भारतीय आर्य भाषा के बारे में दिया गया हैं जो आपके विविध परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं. भारतीय आर्य भाषाएँहिन्द-आर्य भाषा किस भाषा परिवार की शाखा है ?हिन्द-आर्य भाषा में कौन कौन सी भाषा शामिल है