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गद्य साहित्य
मनुष्य की सहज एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति का रूप गद्य है। कविता और गद्य में बहुत सी बातें समान हैं। दोनों के उपकरण शब्द हैं जो अर्थ परिवर्तन के बिना एक ही भंडार से लिए जाते है; दोनों के व्याकरण और वाक्यरचना के नियम एक ही हैं (कविता के वाक्यों में कभी कभी शब्दों का स्थानांतरण, वाक्यरचना के आधारभूत नियमों का खंडन नहीं), दोनों ही लय और चित्रमय उक्ति का सहारा लेते हैं। वर्डस्वर्थ के अनुसार गद्य और पद्य (या कविता) की भाषा में कोई मूलभूत अंतर न तो है और न हो सकता है।
रस संप्रदाय वस्तुनिष्ठ प्रश्न
रस संप्रदाय वस्तुनिष्ठ प्रश्न
हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1 रस सूत्र किस आचार्य ने दिया है ?1 भरतमुनि✔️2 भामह3 मम्मट4 पंडितराज जगनन्नाथ
2 रस सूत्र के व्याख्याता आचार्यों की संख्या है -1, 4✔️2, 63, 54, 8
3 उत्प्तति वाद किस आचार्य!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अंधा युग गीतिनाट्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न
अंधा युग गीतिनाट्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न
हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1)अंधायुग के कथानक का मूल स्त्रोत महाभारत की कौन सी घटनाएँ है???उत्तराद्ध🎯पूर्वाद्धदोनोंइनमें से कोई नही।2)अंधायुग में कितने अंक है---35🎯79
3)अंधायुग का चौथा अंक!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
आधुनिक हिन्दी साहित्य में गद्य का विकास
हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। ईश्वर के साथ साथ मानव को समान महत्व दिया गया। भावना के साथ साथ विचारों को पर्याप्त प्रधानता मिली। पद्य के साथ साथ गद्य का भी विकास हुआ ।
आधुनिक हिन्दी!-->!-->!-->…
हिन्दी गद्य के विकास
हिन्दी गद्य के विकास के विभिन्न सोपान
अध्ययन की दृष्टि से हिंदी गद्य साहित्य के विकास को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है-
(1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13!-->!-->!-->!-->!-->…