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गद्य साहित्य

मनुष्य की सहज एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति का रूप गद्य है। कविता और गद्य में बहुत सी बातें समान हैं। दोनों के उपकरण शब्द हैं जो अर्थ परिवर्तन के बिना एक ही भंडार से लिए जाते है; दोनों के व्याकरण और वाक्यरचना के नियम एक ही हैं (कविता के वाक्यों में कभी कभी शब्दों का स्थानांतरण, वाक्यरचना के आधारभूत नियमों का खंडन नहीं), दोनों ही लय और चित्रमय उक्ति का सहारा लेते हैं। वर्डस्वर्थ के अनुसार गद्य और पद्य (या कविता) की भाषा में कोई मूलभूत अंतर न तो है और न हो सकता है।

हिन्दी गद्य के विकास

हिन्दी गद्य के विकास के विभिन्न सोपान अध्ययन की दृष्टि से हिंदी गद्य साहित्य के विकास को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है- (1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13

हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास

हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकासनामकरण -खड़ी बोली गद्य की प्रारम्भिक रचनाएं एवं रचनाकार -1. लल्लू लाल - 2. सदल मिश्र -3. मुंशी सदासुख लाल नियाज 4. इंशा अल्ला खां -5. राजा शिवप्रसाद ‘सितार-ए-हिन्द’ -6. राजा लक्ष्मणसिंह -7. बाबू नवीन चन्द्रराय

दिव्या-यशपाल

'दिव्या' का कथानक बौद्धकाल की स्मृतियों पर आधारित है। 'दिव्या' यशपाल के श्रेष्ठ उपन्यासों में एक से है। इस उपन्यास में युग-युग की उस दलित-पीड़ित नारी की करुण कथा है, जो अनेकानेक संघर्षों से गुज़रती हुई अपना स्वस्थ मार्ग पहचान

हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास

हिन्दी की प्रथम महिला उपन्यासकार 'साध्वी सती प्राण अबला' को माना जाता है। इन्होंने सन् 1890 ई. में 'सुहासिनी' नामक उपन्यास लिखा। ब्रजरत्नदास अनुसार 'साध्वी सती प्राण अबला' का मूल नाम मल्लिका देवी था। हिन्दी की महिला उपन्यासकार

हिंदी डायरी साहित्य 

हिन्दी डायरी विद्या का प्रवर्तन श्री राम शर्मा कृत 'सेवाग्राम की डायरी' (1946) से माना जाता है। हिंदी डायरी साहित्य  हिंदी डायरी साहित्य हिन्दी डायरी लेखक व डायरी निम्नलिखित हैं- लेखकडायरीघनश्यामदास बिड़लाडायरी के

हिन्दी के प्रमुख उपन्यास और उनके प्रमुख पात्र

मनोहर श्याम जोशी अपने उपन्यासों को 'गप्प बाइस्कोप' कहते है। 'मुन्नी मोबाइल', 'तीसरी ताली' उपन्यास के लिए सन् 2012 का 'इन्दु अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान' प्रदान किया गया है। 'ग्लोबल गाँव का देवता' उपन्यास रणेन्द्र ने लिखा है। इसमें

अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार

अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार स्थापना- स्थापना के अन्तर्गत नाटककार ने मंगलाचरण, उद्घोषणा और अपनी कृति के वर्ण्य विषय का उल्लेख किया है। उद्घोषणा में उसने बताया है कि प्रस्तुत कृति का वर्ण्य विषय विष्णु पुराण से लिया गया है, जिसमें

दलित कविता का विकास

दलित कविता का विकास संत रैदास को हिंदी का प्रथम दलित कवि माना जाता है।आधुनिक युग के दलित कवियों में प्रथम नाम हीरा डोम और स्वामी अच्युतानंद का नाम लिया जाता है।दलित विद्वानों ने सन 1914 ईस्वी में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हीरा डोम की

रस संप्रदाय वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रस संप्रदाय वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1 रस सूत्र किस आचार्य ने दिया है ?1 भरतमुनि✔️2 भामह3 मम्मट4 पंडितराज जगनन्नाथ 2 रस सूत्र के व्याख्याता आचार्यों की संख्या है -1, 4✔️2, 63, 54, 8 3 उत्प्तति वाद किस आचार्य

अंधा युग गीतिनाट्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न

अंधा युग गीतिनाट्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1)अंधायुग के कथानक का मूल स्त्रोत महाभारत की कौन सी घटनाएँ है???उत्तराद्ध🎯पूर्वाद्धदोनोंइनमें से कोई नही।2)अंधायुग में कितने अंक है---35🎯79 3)अंधायुग का चौथा अंक