श्रेणी: गद्य साहित्य
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हिन्दी निबंध पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न
हिन्दी निबंध पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1 अध्यापक पूर्ण सिंह किस युग के निबंधकार हैं?1 भारतेन्दु युग2 द्विवेदी युग3 शुक्ल युग4 शुक्लोत्तर युग 2 भाषा में लाक्षणिकता के लिए कौन से निबंधकार जाने जाते हैं?1 पूर्णसिंह2 भारतेन्दु3 प्रतापनारायण मिश्र4 रामचंद्र शुक्ल 3 पूर्ण सिंह जी का जन्म हुआ था:- 1 एबटाबाद में2 लाहौर3 अमृतसर4 करांची 4…
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हिन्दी कहानी का विकास
हिन्दी कहानी का विकास Q.1 हिन्दी कहानी का उद्भव किस युग से माना जाता है (अ)प्रसाद युग(ब)प्रसादोत्तर युग (स) शुक्ल युग(द)शुक्लोत्तर युग✔Q.2 दामुल का कैदी कहानी के लेखक हैं ?(अ)यशपाल (ब)प्रेमचन्द (स)जयशंकर प्रसाद (द)धर्मवीर भारतीQ.3 पत्नी कहानी के लेखक हैं?(अ)भीष्म साहनी (ब)इला चन्द्र जोशी (स)जैनेंद्र (द)सुदर्शनQ.4 हिन्दी का कौन सा कहानीकार ‘नवाबराय’ के नाम से…
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हिन्दी गद्य के विकास
हिन्दी गद्य के विकास के विभिन्न सोपान अध्ययन की दृष्टि से हिंदी गद्य साहित्य के विकास को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है- (1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13 वी सदी से 1868 ईस्वी तक.(2) भारतेंदु युग(नवजागरण काल): 1868ईस्वी से 1900…
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हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास
नामकरण – हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास – खड़ी बोली गद्य की प्रारम्भिक रचनाएं एवं रचनाकार – 1. लल्लू लाल – 2. सदल मिश्र – 3. मुंशी सदासुख लाल नियाज 4. इंशा अल्ला खां – 5. राजा शिवप्रसाद ‘सितार-ए-हिन्द’ – प्रमुख रचनाएं – 6. राजा लक्ष्मणसिंह – 7. बाबू नवीन चन्द्रराय – इन्होंने सितार-ए-हिन्द…
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दिव्या-यशपाल
‘दिव्या’ का कथानक बौद्धकाल की स्मृतियों पर आधारित है। ‘दिव्या’ यशपाल के श्रेष्ठ उपन्यासों में एक से है। इस उपन्यास में युग-युग की उस दलित-पीड़ित नारी की करुण कथा है, जो अनेकानेक संघर्षों से गुज़रती हुई अपना स्वस्थ मार्ग पहचान लेती है। यशपाल जी का ‘दिव्या’ एक काल्पनिक ऐतिहासिक उपन्यास है। उपन्यास में वर्णित घटनाएँ पाठकों के…
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हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास
हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास निम्नांकित हैं- उषा प्रियंवदा (1) पचपन खम्भे लाल दीवारें (1961), (2) रुकोगी नहीं राधिका (1967), (3) शेषयात्रा (1984), (4) अंतर्वशी (2000), (5) भए कबीर उदास (2007)। चन्द्रकिरण सौनरेक्सा (1) चंदन चाँदनी (1962), (2) वंचिता (1972) कृष्णा सोबती (1) मित्रो मरजानी (1967), (2) सूरजमुखी अँधेरे के (1972), (3) जिन्दगीनामा (1979),…
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हिंदी डायरी साहित्य
हिन्दी डायरी विद्या का प्रवर्तन श्री राम शर्मा कृत ‘सेवाग्राम की डायरी’ (1946) से माना जाता है। हिंदी डायरी साहित्य हिन्दी डायरी लेखक व डायरी निम्नलिखित हैं- लेखक डायरी घनश्यामदास बिड़ला डायरी के पन्ने धीरेंद्र वर्मा मेरी कालिज डायरी (1954) सुन्दरलाल त्रिपाठी दैनंदिनी सियारामशरण गुप्त दैनिकी उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ ज्यादा अपनी कम परायी (1959) हरिवंश राय…
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हिन्दी के प्रमुख उपन्यास और उनके प्रमुख पात्र
हिन्दी के प्रमुख उपन्यास हिन्दी के प्रमुख उपन्यास और उनके प्रमुख पात्र कालक्रमानुसार निम्न हैं- उपन्यास वर्ष पात्र सेवासदन 9998 सुमन, गजाधर, कृष्णचन्द्र, पद्मसिंह, शान्ता रंगभूमि 9925 सूरदास, सोफिया, भरतसिंह, महेन्द्र कुमार, विनय, सुभागी, जनसेवक, इन्दु, जाह्नवी, मिठुआ, ताहिर अली। कंकाल 9929 विजय, तारा (यमुना), मंगल, देवनिरंजन, बाथम, किशोरी, रामा, घण्टी गबन 9939 जालपा, रामनाथ,…
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अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार
अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार स्थापना- स्थापना के अन्तर्गत नाटककार ने मंगलाचरण, उद्घोषणा और अपनी कृति के वर्ण्य विषय का उल्लेख किया है। उद्घोषणा में उसने बताया है कि प्रस्तुत कृति का वर्ण्य विषय विष्णु पुराण से लिया गया है, जिसमें भविष्यवाणी करते हुए लिखा है कि उस भविष्य में सब लोग तथा उनके धर्म-अर्थ…
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दलित कविता का विकास
दलित कविता का विकास संत रैदास को हिंदी का प्रथम दलित कवि माना जाता है। आधुनिक युग के दलित कवियों में प्रथम नाम हीरा डोम और स्वामी अच्युतानंद का नाम लिया जाता है। दलित विद्वानों ने सन 1914 ईस्वी में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत को हिंदी की प्रथम…