कामायनी व छायावाद वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

कामायनी व छायावाद वस्तुनिष्ठ प्रश्न Q1 कामायनी में श्रद्धा किस क्रम का सर्ग हैंA 1B3✔C5द9Q2 श्रद्धा को क्या क्या कहा गया हैA कामायनीB कामगोत्रजाC हृदय की प्रतीकD सभी✔ Q3 मनु को श्रद्धादेव् कहा हैंA ऋग्वेदB भागवतC शतपथब्राह्मण✔D स्कन्दपुराणQ4 संसृति जल निधि तीर,में कौन सा अलंकार हैंA रूपक✔B उपमाC अतिश्योक्तिD कोई नही Q5 श्रद्धा कहा कि … Read more

पाश्चात्य काव्यशास्त्री और उनकी रचनायें

Hindi Sahity

पाश्चात्य काव्यशास्त्री और उनकी रचनायें प्लेटो गणतन्त्र अरस्तु पोयटिक्स , पेरिपोइटिकेस लोंजाइन्स पेरिइप्सुस क्रोचे एस्थेटिक वड्सवर्थ लिरिकल बेलेडस, ऐन इवनिंग वॉक ऐंड डिस्क्रिप्ट स्केचेज,  द प्रिल्यूड सिमोन द बुआ द सेकंड सेक्स कॉलरिज– पोयम्स,द फ्रेंड,एड्स टू रिफ्लेक्शन,चर्च एंड स्टेट,कंफेशन् ऑफ़ एन इंक्वायरिंग स्पिरिट इलियट द वेस्टलैंड,ऐसेज एशेंट एंड मॉडर्न,द सेक्रेट वुड रिचर्ड्स बिर्योड,प्रिंसिपल ऑफ़ लिटरेरी … Read more

श्रृंगार रस

Ras-ke-bhed

श्रृंगार रस एक उदाहरण है- राम को रूप निहारति जानकी कंगन के नग की परछाही।याते सबे सुधि भूलि गइ ,करटेकि रही पल टारत नाही।। तुलसीदास कृत रामचरित मानस के -बालकांड-17 शृंगार रस के भेद श्रृंगार रस मुख्यत: संयोग तथा विप्रलंभ या वियोग के नाम से दो भागों में विभाजित किया जाता है, किंतु धनंजय आदि … Read more

रौद्र रस

Ras-ke-bhed

रौद्र रस आलंबन – क्रोधोत्तेजक अनुचित कर्म तथा अनुचित अन्यायपूर्ण कर्म करने वाले व्यक्ति। स्थायी भाव – असत्य , अन्याय , दुष्टाचार , अनुचित , अपमान , अत्याचार , शत्रुता , अनिष्टकर सामाजिक कुरीतियां आदि । उद्दीपन – चेष्टाओं का अनिष्टकारी होना , दुष्ट व्यक्तियों के कटु वचन , अपमान करना , अनाचार , दुराचार … Read more

करुण रस

Ras-ke-bhed

करुण रस विभाव :- प्रिय जन का वियोग ,बंधु ,विवश ,पराधव ,दरिद्रता ,प्रिय व्यक्ति की वस्तुएं ,इस्ट जन – विप्रयोग ,वध ,बंधन ,संकट पूर्ण परिस्थितियां। संचारी भाव गिलानी ,मरण ,निर्वेद ,स्नेह ,स्मृति ,घृणा ,उत्कर्ष ,उत्सुकता ,चिंता ,उन्माद ,चिंता ,आशा – निराशा ,मोह ,आवेग आदि। अनुभाव – छटपटाना ,छाती पीटना , दुखी की सहायता करना ,मूर्छा … Read more

भारतीय संस्कृत काव्यशास्त्र ग्रन्थ

हिन्दी काव्यशास्त्र

भारतीय संस्कृत काव्यशास्त्र ग्रन्थ नाट्यशास्त्र (भरतमुनि, 2वीं सदी)                                   नाटकों के संबंध में शास्त्रीय जानकारी को नाट्यशास्त्र कहते हैं। इस जानकारी का सबसे पुराना ग्रंथ भी नाट्यशास्त्र के नाम से जाना जाता है जिसके रचयिता भरत मुनि थे। भरत मुनि का जीवनकाल ४०० ईसापूर्व से १०० ई के मध्य किसी समय माना जाता है। काव्यालंकार (भामह, … Read more

You cannot copy content of this page