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September 2022

आधे अधूरे के प्रमुख पात्रों का चरित्र-चित्रण

आधे अधूरे के प्रमुख पात्रों का चरित्र-चित्रण पुरुष एक महेन्द्रनाथ पुरुष एक अर्थात् महेन्द्रनाथ नाटक में प्रतीक रूप में वर्णित, मध्य से निम्न मध्य - वित्तीय स्थितियों की ओर अग्रसर हो रहे परिवार का मुखिया है। इस दृष्टि से उसे हम

आधे अधूरे : कथासार

आधे अधूरे : कथासार नाटककार मोहन राकेश ने 'आधे अधूरे' की कथावस्तु को एक ऐसे नव्य रूप में प्रस्तुत किया है जिससे सहज ही स्वातंत्र्योत्तर चेतना का आभास होता है। मोहन राकेश ने मध्य वर्गीय परिवार के घर को मंच पर प्रस्तुत करके एक ऐसे व्यक्ति

अंधेर नगरी – कथासार

अंधेर नगरी - कथासार अंधेर नगरी - कथासार अंधेर नगरी नाटक का कथानक एक दृष्टांत की तरह है और उसका संक्षिप्त सार इस प्रकार है एक महन्त अपने दो चेलों - गोवर्धनदास और नारायणदास के साथ भजन गाते हुए एक भव्य और सुन्दर नगर में आता है।

आधे-अधूरे सप्रसंग व्याख्या

आधे-अधूरे सप्रसंग व्याख्या - आप शायद सोचते हों कि मैं नाटक में कोई एक निश्चित इकाई हूँ- अभिनेता, प्रस्तुतकर्त्ता, व्यवस्थापक या कुछ और। परंतु मैं अपने संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता उसी तरह जैसे इस नाटक के संबंध में नहीं कह

भारतेंदु की नाट्य कला

भारतेंदु की नाट्य कला भारतेंदु के समय तक भारत की समृद्ध साहित्यिक नाट्य परंपरा, जिसकी अविच्छिन्न धारा भरत के नाटकों से लेकर लगभग 10वीं शताब्दी तक संस्कृत, रंगमंच से जुड़ी रही, वह लुप्त हो चुकी थी। दसवीं शताब्दी के बाद संस्कृत में जो

अंधेर नगरी की भाषा – शैली एवं संवाद योजना

अंधेर नगरी की भाषा - शैली एवं संवाद योजना संवाद नाटक की आत्मा होते हैं। उन्हीं के आधार पर नाटक की कथा निर्मित और विकसित होती है, पात्रों के चरित्र के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है, उनका विकास होता है। संवाद ही नाटक में सजीवता, रोचकता

अंधेर नगरी: पात्र परिकल्पना एवं चरित्रिक विशेषताएँ

अंधेर नगरी नाटक में यूँ कहने को तो इसमें अनेक पात्र हैं विशेषतः बाजार वाले दृश्य में। पर वे केवल एक दृश्य तक सीमित हैं और उनके द्वारा लेखक या तो बाजार का वातावरण उपस्थित करता है या फिर तत्कालीन राजतंत्र एवं न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष करता

अंधेर नगरी प्रहसन व्याख्या

अंधेर नगरी प्रहसन व्याख्या राम के नाम से काम बनै सब,राम के भाजन बिनु सबहिं नसाई ||राम के नाम से दोनों नयन बिनु सूरदास भए कबिकुलराई । राम के नाम से घास जंगल की, तुलसी दास भए भजि रघुराई ॥ शब्दार्थ- दोनों नयन बिनु-जिनके दोनों

रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय

रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। आप छायावादोत्तर कवियों की

प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ

प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ (क) केदारनाथ अग्रवाल(ख) नागार्जुन(ग) त्रिलोचन (क) केदारनाथ अग्रवाल (1) धूप चमकती है चाँदी की साड़ी पहने मैके में आयी बेटी की तरह मगन है। (2) एक बीते के बराबर, यह हरा ठिगना चना