जगनिक का साहित्यिक परिचय

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जगनिक का साहित्यिक परिचय (संवत् 1230) ऐसा प्रसिद्ध है कि कालिंजर के राजा परमार के यहाँ जगनिक नाम के एक भाट थे, जिन्होंने महोबे के दो प्रसिद्ध वीरों-आल्हा और ऊदल (उदयसिंह)–के वीरचरित का विस्तृत वर्णन एक वीरगीतात्मक काव्य के रूप में लिखा था, जो इतना सर्वप्रिय हुआ कि उसके वीरगीतों का प्रचार क्रमशः सारे उत्तरी … Read more

भट्टकेदार मधुकर कवि का साहित्यिक परिचय

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भट्टकेदार मधुकर कवि (संवत् 1224-1243)- जिस प्रकार चंदबरदाई ने महाराज पृथ्वीराज को कीर्तिमान किया है उसी प्रकार भट्टकेदार ने कन्नौज के सम्राट जयचंद का गुण गाया है। रासो में चंद और भट्टकेदार के संवाद का एक स्थान पर उल्लेख भी है। भट्टकेदार ने ‘जयचंदप्रकाश’ नाम का एक महाकाव्य लिखा था, जिसमें महाराज जयचंद के प्रताप … Read more

अनुच्छेद लेखन

किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।दूसरे शब्दों में- किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं। अनुच्छेद लेखन ‘अनुच्छेद’ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘Paragraph’ शब्द का हिंदी पर्याय … Read more

पत्र लेखन

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पत्र लेखन महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपितु अत्यंत आवश्यक है, कैसे? जब आप विद्यालय नहीं जा पाते, तब अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखना पड़ता है। सरकारी व निजी संस्थाओं के अधिकारियों को अपनी समस्याओं आदि की जानकारी देने के लिए पत्र लिखना पड़ता है। पत्र लेखन दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने … Read more

शब्द शक्ति व प्रकार

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काव्य में रस का संचार शब्द-शक्तियों के द्वारा होता हैं। यहाँ शब्दों का विशेष महत्त्व माना गया हैं। काव्य-भाषा में वाक्यों की रचना इस बात की सूचक हैं कि उसमें अनेक प्रकार के शब्दों का प्रयोग प्रकरण, प्रसंग और कवि-आशय के अनुसार हुआ हैं। शब्द शक्ति आचार्य मम्मट ने व्यापार शब्द का और आचार्य विश्वनाथ … Read more

वाक्य विचार

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जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं।सरल शब्दों में- वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै। वाक्य विचार परिभाषा आचार्य विश्वनाथ ने अपने ‘साहित्यदर्पण‘ में लिखा … Read more

अनेकार्थी शब्द की परिभाषा

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भाषा में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है, जो अनेकार्थी होते हैं। अनेकार्थी शब्द की परिभाषा ऐसे शब्द, जिनके अनेक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते है।दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें ‘अनेकार्थी शब्द’ कहते है।अनेकार्थी का अर्थ है – एक से अधिक अर्थ देने वाला। यमक और … Read more

छन्द के अंग

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वर्णो या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आहाद पैदा हो, तो उसे छन्द कहते है।दूसरे शब्दो में-अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘छन्द’ कहलाती है। छन्द महर्षि पाणिनी के अनुसार जो आह्मादित करे, प्रसन्न करे, वह छंद है (चन्दति हष्यति येन दीप्यते वा … Read more

रस की व्युत्पत्ति

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साहित्य को पढ़ने, सुनने या नाटकादि को देखने से जो आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं। रस परिभाषा रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहा जाता है। रस की व्युत्पत्ति रस की व्युत्पत्ति दो प्रकार से दी गयी … Read more

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