वाक्य विचार

जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं।
सरल शब्दों में- वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, ‘वाक्य’ कहलाता हैै। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै।

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वाक्य विचार

परिभाषा

आचार्य विश्वनाथ ने अपने ‘साहित्यदर्पण‘ में लिखा है-
”वाक्यं स्यात् योग्यताकांक्षासक्तियुक्त: पदोच्चय:।

अर्थात वाक्य ऐसे पदसमूह का नाम है जिसमें योग्यता, आकांक्षा और आसक्ति (सामीप्य) ये तीनों वर्तमान हों। उसे वाक्य कहते हैं।

वाक्य के भाग

वाक्य के दो भेद होते है-
(1)उद्देश्य (Subject)
(2)विद्येय (Predicate)

उद्देश्य (Subject)

 वाक्य का वह भाग है, जिसमें किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।
सरल शब्दों में- वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये उसे उद्देश्य कहते हैं।

जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।

उद्देश्य के रूप में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण क्रियाद्योतक और वाक्यांश आदि आते हैं।
जैसे- 1. संज्ञा- मोहन गेंद खेलता है।
2. सर्वनाम- वह घर जाता है।
3. विशेषण- बुद्धिमान सदा सच बोलते हैं।
4. क्रिया-विशेषण- पीछे मत देखो।
5. क्रियार्थक संज्ञा- तैरना एक अच्छा व्यायाम है।
6. वाक्यांश- भाग्य के भरोसे बैठे रहना कायरों का काम है।
7. कृदन्त- लकड़हारा लकड़ी बेचता है।

विधेय (Predicate)

उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते है।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है।
इस वाक्य में ‘किताब पढ़ती’ है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।

विधेय के भाग-
विधेय के छः भाग होते है-
(i) क्रिया
(ii) क्रिया के विशेषण
(iii) कर्म
(iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
(v) पूरक
(vi)पूरक के विशेषण।

तालिका से उद्देश्य तथा विधेय सरलता से समझा जा सकता है-

वाक्यउद्देश्यविधेय
गाय घास खाती हैगायघास खाती है।
सफेद गाय हरी घास खाती है।सफेद गायहरी घास खाती है।

सफेद -कर्ता विशेषण
गाय -कर्ता[उद्देश्य]
हरी – विशेषण कर्म
घास -कर्म [विधेय]
खाती है– क्रिया[विधेय]

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