भारतेन्दु-युग में निबन्ध-साहित्य

निबंध भारतेन्दु-युग में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से निबन्ध-साहित्य की पूर्ण प्रतिष्ठा हो चुकी थी। इस युग के निबंध लेखकों में महावीरप्रसाद द्विवेदी, गोविन्दनारायण मिश्र, बालमुकुन्द गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, मिश्रबन्धु (श्यामबिहारी मिश्र और शुकदेवबिहारी मिश्र), सरदार पूर्णसिंह, चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’, जगन्नाथप्रसाद चतुर्वेदी, श्यामसुन्दरदास, पद्मसिंह शर्मा, रामचन्द्र शुक्ल, कृष्णबिहारी मिश्र आदि उल्लेखनीय हैं।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध परिचयात्मक या आलोचनात्मक टिप्पणियों के रूप में हैं। उनका ‘म्युनिसिपैलिटी कारनामे’ निबंध व्यंग्य शैली में लिखा है। ‘आत्मनिवेदन’, ‘प्रभात’, ‘सुतापराधे जनकस्य दण्ड’ आदि इनके अन्य चर्चित निबंध हैं।

गोविन्दनारायण मिश्र अपनी पाण्डित्यपूर्ण, संस्कृतनिष्ठ, तत्समप्रधान समासबहुला, दीर्घ वाक्य-विन्यासपूर्ण गद्य-शैली के लिए जाने जाते हैं।

बालमुकुन्द गुप्त (1965-1907) हिंदी साहित्य में ‘शिवशम्भु का चिट्ठा’ के लिए जाने जाते हैं। ये चिट्ठे ‘भारतमित्र’ पत्रिका में प्रकाशित हुए।

माधवप्रसाद मिश्र के निबंध ‘सुदर्शन’ में प्रकाशित हुए। इनके निबंध ‘पुष्पांजलि'(1916) में संकलित हैं।

सरदार पूर्ण सिंह (1881-1939) इस युग के श्रेष्ठ निबंधकार हैं। इन्होंने कुल छह निबंध लिखे और प्रसिद्ध हो गए। इन्होंने नैतिकता और सामाजिकता को लेकर निबंध लिखे। ‘आचरण की सभ्यता’, ‘सच्ची वीरता’, ‘मजदूरी और प्रेम’, ‘पवित्रता’ और ‘कन्यादान’ इनके प्रसिद्ध निबंध हैं।

चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ (1883-1920) की साहित्य क्षमता अप्रतिम थी। ये पुरातत्त्व के मान्य विद्वान थे। ‘कछुवा धरम’ और ‘मारेसि मोहिं कुठांव’ इनके बहुचर्चित निबंध हैं।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के श्रेष्ठ मनोवैज्ञानिक निबंध 1912 ई. से 1919 ई. तक ‘नागरीप्रचारिणी पत्रिका’ में प्रकाशित हुए थे। इनके ‘भय और क्रोध’, ‘ईर्ष्या’, ‘घृणा’, ‘उत्साह’, ‘श्रद्धा-भक्ति’, ‘करुणा’, ‘लज्जा और ग्लानि’ तथा ‘लोभ और प्रीति’ निबंध द्विवेदी युग में प्रकाशित 110 हुए।

गणेशशंकर विद्यार्थी, मन्नन द्विवेदी, यशोदानन्दन अखौरी, केशवप्रसाद सिंह भी इस युग के चर्चित निबंधकार रहे। इस युग में समाज की हीनावस्था, आर्थिक विषमता, धार्मिक पतन और व्यापक राष्ट्रीय समस्याओं को लेकर निबंध लिखे गए।

शैली की दृष्टि से इस युग में वर्णनात्मक, भावात्मक, विवरणात्मक, विचारात्मक, कथात्मक, शोधपरक आदि सभी शैलियों में निबंध लिखे गए।

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