निबन्ध-लेखन (Essay-writing)
परिभाषा
- “अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना ‘निबन्ध’ कहलाता है।”
दूसरे शब्दों में-
- “किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही ‘निबंध’ कहलाता है।”
आधुनिक निबन्धों के जन्मदाता फ्रान्स के मौन्तेन के अनुसार
- ‘निबन्ध विचारों, उद्धरणों एवं कथाओं का सम्मिश्रण है। ”
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में-
- ”आधुनिक पाश्र्चात्य लक्षणों के अनुसार निबन्ध उसी को कहना चाहिए, जिसमें व्यक्तित्व अर्थात व्यक्तिगत विशेषता हो।”
निबन्ध का अर्थ-
- निबंध का अर्थ है- बँधा हुआ अर्थात एक सूत्र में बँधी हुई रचना।
- हिन्दी का ‘निबन्ध’ शब्द अँगरेजी के ‘Essay’ शब्द का अनुवाद है। अँगरेजी का ‘Essay’ शब्द फ्रेंच ‘Essai’ से बना है। Essai का अर्थ होता है- To attempt’, अर्थात ‘प्रयास करना’ ।
- ‘Essay’ में ‘Essayist’ अपने व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करता है, अर्थात ‘निबन्ध’ में ‘निबन्धकार’ अपने सहज, स्वाभाविक रूप को पाठक के सामने प्रकट करता है। आत्मप्रकाशन ही निबन्ध का प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है।
निबंध के अंग
निबंध के निम्नलिखित तीन अंग होते हैं :
(1) भूमिका-
- यह निबंध के आरंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है।
- इसमें विषय का परिचय दिया जाता है।
- यह प्रभावशाली होनी आवश्यक है, जो कि पाठक को निबंध पढ़ने के लिए प्रेरित कर सके।
(2) विषय-विस्तार-
- इसमें तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं।
- प्रत्येक अनुच्छेद में एक-एक पहलू पर विचार लिखा जाते है।
(3) उपसंहार-
- यह निबंध के अंत में लिखा जाता है।
- इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है।
- इसमें संदेश भी लिखा जा सकता है।