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March 2024

मैथिलीशरण गुप्त का जयद्रथ वध

मैथिलीशरण गुप्त का जयद्रथ वध का आधार महाभारत है। जयद्रथ वध का प्रकाशन 1910 में हुआ था। मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी सरस प्रवाहपूर्ण शैली द्वारा जयद्रथ वध काव्य को नया प्रदान किया है। जयद्रथ-वध का प्रथम सर्ग वाचक ! प्रथम सर्वत्र ही ‘जय

भारतेन्दु-युग में निबन्ध-साहित्य

निबंध भारतेन्दु-युग में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से निबन्ध-साहित्य की पूर्ण प्रतिष्ठा हो चुकी थी। इस युग के निबंध लेखकों में महावीरप्रसाद द्विवेदी, गोविन्दनारायण मिश्र, बालमुकुन्द गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, मिश्रबन्धु (श्यामबिहारी मिश्र और

अनुच्छेद लेखन

किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।दूसरे शब्दों में- किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे

भट्टकेदार मधुकर कवि का साहित्यिक परिचय

भट्टकेदार मधुकर कवि (संवत् 1224-1243)- जिस प्रकार चंदबरदाई ने महाराज पृथ्वीराज को कीर्तिमान किया है उसी प्रकार भट्टकेदार ने कन्नौज के सम्राट जयचंद का गुण गाया है। रासो में चंद और भट्टकेदार के संवाद का एक स्थान पर उल्लेख भी है। भट्टकेदार

जगनिक का साहित्यिक परिचय

जगनिक का साहित्यिक परिचय (संवत् 1230) ऐसा प्रसिद्ध है कि कालिंजर के राजा परमार के यहाँ जगनिक नाम के एक भाट थे, जिन्होंने महोबे के दो प्रसिद्ध वीरों-आल्हा और ऊदल (उदयसिंह)–के वीरचरित का विस्तृत वर्णन एक वीरगीतात्मक काव्य के रूप में लिखा

हिन्दी व्याकरण: एकार्थक शब्द

हिन्दी व्याकरण: एकार्थक शब्द यहाँ कुछ प्रमुख एकार्थक शब्द दिया जा रहा है। ( अ ) अहंकार- मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध।अनुग्रह- कृपा। किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना।अनुकम्पा- बहुत कृपा। किसी के

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि रघुवीर सहाय नयी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं। इनकी कविताएं एक्सरे की तरह आने वाले समय का पूर्वाभास कर यथार्थ को बेबाकी से हमारे सामने प्रस्तुत कर देती हैं। इस पोस्ट के अध्ययन के बाद

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं :भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता

कबीरदास जी का साहित्यिक परिचय

कबीरदास का जन्म कैसे हुआ ? कबीर की उत्पत्ति के संबंध में अनेक प्रकार के प्रवाद प्रचलित हैं। कहते हैं, काशी में स्वामी रामानंद का एक भक्त ब्राह्मण था, जिसकी किसी विधवा कन्या को स्वामीजी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद भूल से दे दिया। फल यह