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June 2023

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन 1875 ई में रचित एक हिन्दी नाटक है। भारत दुर्दशा में भारतेन्दु ने अपने सामने प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वर्तमान लक्ष्यहीन पतन की ओर उन्मुख भारत का

श्री वल्लभाचार्य जी : सगुण धारा कृष्ण-भक्ति शाखा के कवि

श्री वल्लभाचार्यजी वैष्णव धर्म के प्रधान प्रवर्त्तकों में से थे। ये वेदशास्त्र में पारंगत धुरंधर विद्वान् थे। वल्लभाचार्य ने सगुण रूप को ही असली पारमार्थिक रूप बताया और निर्गुण को उसका अंशतः तिरोहित रूप कहा। श्री वल्लभाचार्य जी :

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है- (1) प्रभावोत्पादकता(2) विचारों की सुस्पष्ठता(3) संक्षेप और सम्पूर्णता(4) सरल भाषाशैली(5) बाहरी सजावट(6) शुद्धता और स्वच्छता(7) विनम्रता और शिष्टता(8) सद्भावना(9) सहज और स्वाभाविक शैली(10)

वाक्यों का रूपान्तरण

वाक्यों का रूपान्तरणवाक्यों का रूपान्तरणसरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तनसंयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तनसरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तनमिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तनसंयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तनमिश्र

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम क्रम (order)क्रम-संबंधी कुछ अन्य बातें अन्वय (मेल)कर्ता और क्रिया का मेलकर्म और क्रिया का मेलप्रयोगकुछ आवश्यक निर्देशअन्य बातें ''व्याकरण-सिंद्ध पदों को मेल के अनुसार

वाक्य के तत्व

वाक्य के अनिवार्य तत्व(1) सार्थकता- (2) योग्यता - (3) आकांक्षा- (4) निकटता- (5) क्रम - (6) अन्वय -  वाक्य के अनिवार्य तत्व (1) सार्थकता-  सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग

वाक्य के भेद

वाक्य के भेद वाक्य के भेद(1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पर(i)साधारण वाक्य या सरल वाक्य:-(ii)मिश्रित वाक्य:-(iii)संयुक्त वाक्य :-(2) वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर (1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पर रचना के आधार पर वाक्य के तीन

रस के अंग

रस के चार अंग है-(1) विभाव :- (2) अनुभाव :- (3) व्यभिचारी या संचारी भाव :- (4) स्थायी भाव :-  (1) विभाव :- जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को 'विभाव' कहा जाता

छन्द के भेद

छन्द के भेद छन्द के भेद(1) वर्णिक छन्द- वार्णिक छन्द के भेददण्डक वार्णिक छन्द साधारण वार्णिक छन्द प्रमुख वर्णिक छंद(2) वार्णिक वृत्त-(3) मात्रिक छन्द- प्रमुख मात्रिक छन्द(४) मुक्तछंद वर्ण और मात्रा के विचार से छन्द के चार भेद है-(1)

लक्षणा शब्द शक्ति

लक्षणा शब्द शक्ति लक्षणा शब्द शक्तिलक्षणा के भेद(1) रूढ़ा लक्षणा-(2) प्रयोजनवती लक्षणा-प्रयोजनवती लक्षणा के भेद(3) व्यंजना (Suggestive Sense Of a Word)-व्यंजना के भेदव्यंजना के भेद मुख्यार्थ के बाधित होने पर जिस शक्ति के द्वारा