भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु - दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र - हिन्दी साहित्य नोट्स संग्रह

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन 1875 ई में रचित एक हिन्दी नाटक है। भारत दुर्दशा में भारतेन्दु ने अपने सामने प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वर्तमान लक्ष्यहीन पतन की ओर उन्मुख भारत का वर्णन किया है। भारतेन्दु ब्रिटिश राज और आपसी कलह को भारत की दुर्दशा का मुख्य कारण मानते … Read more

श्री वल्लभाचार्य जी : सगुण धारा कृष्ण-भक्ति शाखा के कवि

वल्लभाचार्य जी

श्री वल्लभाचार्यजी वैष्णव धर्म के प्रधान प्रवर्त्तकों में से थे। ये वेदशास्त्र में पारंगत धुरंधर विद्वान् थे। वल्लभाचार्य ने सगुण रूप को ही असली पारमार्थिक रूप बताया और निर्गुण को उसका अंशतः तिरोहित रूप कहा। श्री वल्लभाचार्य जी : सगुण धारा कृष्ण-भक्ति शाखा के कवि जीवन परिचय आचार्य जी का जन्म संवत् 1535, वैशाख कृष्ण … Read more

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है- (1) प्रभावोत्पादकता(2) विचारों की सुस्पष्ठता(3) संक्षेप और सम्पूर्णता(4) सरल भाषाशैली(5) बाहरी सजावट(6) शुद्धता और स्वच्छता(7) विनम्रता और शिष्टता(8) सद्भावना(9) सहज और स्वाभाविक शैली(10) क्रमबद्धता(11) विराम चिह्नों पर विशेष ध्यान(12) उद्देश्यपूर्ण अच्छे पत्र की विशेषताएँ (1)प्रभावोत्पादकता :-  किसी भी पत्र का प्रथम गुण हैं उसकी प्रभावोत्पादकता। जो पत्र अपने पाठक … Read more

वाक्यों का रूपान्तरण

वाक्यों का रूपान्तरण किसी वाक्य में अर्थ परिवर्तन किए बिना उसकी संचरना में परिवर्तन की प्रक्रिया वाक्यों का रूपान्तरण कहलाती है। एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्यों में बदलना वाक्य परिवर्तन या वाक्य रचनान्तरण कहलाता है। अर्थ में परिवर्तन लाए बिना वाक्य की रचना में परिवर्तन किया जा सकता है। सरल वाक्यों … Read more

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम ”व्याकरण-सिंद्ध पदों को मेल के अनुसार यथाक्रम रखने को ही ‘वाक्य-रचना’ कहते है।” वाक्य का एक पद दूसरे से लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि का जो संबंध रखता है, उसे ही ‘मेल’ कहते हैं। जब वाक्य में दो पद एक ही लिंग-वचन-पुरुष-काल और नियम के हों तब वे आपस … Read more

वाक्य के तत्व

वाक्य के अनिवार्य तत्व (1) सार्थकता–  सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो, तभी वाक्य भावाभिव्यक्ति के लिए सक्षम होगा।जैसे- राम रोटी पीता है।यहाँ ‘रोटी पीना’ सार्थकता का बोध नहीं कराता, क्योंकि रोटी खाई जाती है। सार्थकता की दृष्टि से यह वाक्य अशुद्ध माना जाएगा। (2) … Read more

वाक्य के भेद

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वाक्य के भेद (1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पर रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है-(i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य (Simple Sentence)(ii)मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)(iii)संयुक्त वाक्य (Compound Sentence) (i)साधारण वाक्य या सरल वाक्य:- जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते … Read more

रस के अंग

(1) विभाव :-  जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को ‘विभाव’ कहा जाता है।दूसरे शब्दों में- जो व्यक्ति वस्तु या परिस्थितियाँ स्थायी भावों को उद्दीपन या जागृत करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं। विश्र्वनाथ ने साहित्यदर्पण में लिखा है- ‘रत्युद्बोधका: लोके विभावा: काव्य-नाट्ययो:’ अर्थात् जो सामाज में … Read more

छन्द के भेद

छन्द के भेद वर्ण और मात्रा के विचार से छन्द के चार भेद है-(1) वर्णिक छन्द(2) वर्णिक वृत्त(3) मात्रिक छन्द(4) मुक्तछन्द (1) वर्णिक छन्द-  जिन छंदों में वर्णों की संख्या, क्रम, गणविधान तथा लघु-गुरु के आधार परपदरचना होती है, उन्हें ‘वर्णिक छंद’ कहते हैं।दूसरे शब्दों में- केवल वर्णगणना के आधार पर रचा गया छन्द ‘वार्णिक छन्द’ … Read more

लक्षणा शब्द शक्ति

लक्षणा शब्द शक्ति  मुख्यार्थ के बाधित होने पर जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से संबंधित अन्य अर्थ रूढ़ि या प्रयोजन के कारण लिया जाए, वह ‘लक्षणा’ है। उदाहरण-(i) सभी मुहावरे व लोकोक्तियाँ- सभी मुहावरों एवं लोकोक्तियों में लक्षणा शब्द-शक्ति के सहारे अर्थ ग्रहण किया जाता है। जैसे- ”उसके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने की … Read more

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