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हिंदी साहित्य का निबंध

निबन्ध (Essay) गद्य लेखन की एक विधा है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है। इसे अंग्रेजी के कम्पोज़ीशन और एस्से7 के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। किन्तु वर्तमान काल के निबंध संस्कृत के निबंधों से ठीक उलटे हैं। उनमें व्यक्तित्व या वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है।

भारतेन्दु-युग में निबन्ध-साहित्य

निबंध भारतेन्दु-युग में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से निबन्ध-साहित्य की पूर्ण प्रतिष्ठा हो चुकी थी। इस युग के निबंध लेखकों में महावीरप्रसाद द्विवेदी, गोविन्दनारायण मिश्र, बालमुकुन्द गुप्त, माधवप्रसाद मिश्र, मिश्रबन्धु (श्यामबिहारी मिश्र और

हिन्दी साहित्य में निबंध व उनके निबंधकार

हिन्दी साहित्य में निबंध व उनके निबंधकार हिन्दी निबंध निबंधकारनिबंध/निबंध-संग्रहशिवप्रसाद 'सितारे-हिंद'राजा भोज का सपनामहावीर प्रसाद द्विवेदीम्युनिसिपैलिटी के कारनामे, जनकस्य दण्ड, रसज्ञ रंजन, कवि और कविता, लेखांजलि, आत्मनिवेदन,

हिंदी निबंध का विकास

हिंदी निबंध का विकास हिन्दी निबन्ध का जन्म भारतेन्दु-काल में हुआ। यह नवजागरण का समय था। भारतीयों की दीन-दुखी दशा की ओर लेखकों का बहुत ध्यान था। पुराने गौरव, मान, ज्ञान, बल-वैभव को फिर लाने का प्रयत्न हो रहा था। भारतेन्दु युग

निबन्ध-लेखन (Essay-writing): परिभाषा, अर्थ व अंग

निबन्ध-लेखन (Essay-writing) परिभाषा "अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना 'निबन्ध' कहलाता है।" दूसरे शब्दों में- "किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही…

चिंतामणि के तीन भाग

चिंतामणि के तीन भाग हैं चिंतामणि 1 सन् १९३९ में प्रकाशित आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी का निबंधात्मक (समालोचना)ग्रंथ है। जिसके प्रमुख निबन्ध हैं- भाव या मनोविकार, उत्साह, श्रद्धा और भक्ति, करुणा, लज्जा और ग्लानि,

अशोक के फूल का सारांश

अशोक के फूल का सारांश प्रस्तुत निबन्ध में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने ‘अशोक के फूल’ की सांस्कृतिक परम्परा की खोज करते हुए उसकी महत्ता प्रतिपादित की है। हिन्दी गद्य साहित्य इस फूल के पीछे छिपे हुये विलुप्त सांस्कृतिक गौरव की याद

मजदूरी और प्रेम -सरदार पूर्ण सिंह 

मजदूरी और प्रेम -सरदार पूर्ण सिंह मजदूरी और प्रेम -सरदार पूर्ण सिंह हल चलाने वाले का जीवनगड़रिये का जीवनमजदूर की मजदूरीप्रेम-मजदूरीमजदूरी और कलामजदूरी और फकीरीसमाज का पालन करने वाली दूध की धारापश्चिमी सभ्यता का एक नया आदर्श मजदूरी और

निबंध कैसे लिखें

निबंध लिखने का उद्देश्य किसी विषय-वस्तु को तर्क और तथ्यों के साथ उसे व्यवस्थित रूप देते है,जिससे उस विषय वस्तु को और अधिक गहराई से समझा जा सके। किसी भी विषय पर किसी निबंध को लिखने के लिए उस विषय के बारे में पूर्ण जानकारी होना

निबन्ध की शैली व विशेषताएँ

निबन्ध की शैली व विशेषताएँ निबन्ध की शैली(ESSAY STYLE) लिखने के लिए दो बातों की आवश्यकता है- भाव और भाषा। भाव और भाषा को समन्वित करने के ढंग को 'शैली' कहते है। अच्छी शैली वह है, जो पाठक को प्रभावित करे। यह पाठक को शब्दों की

निबंध के प्रकार(TYPE OF ESSAY)

निबंध के प्रकार विषय के अनुसार प्रायः सभी निबंध तीन प्रकार के होते हैं : (1) वर्णनात्मक (2) विवरणात्मक (3) विचारात्मक वर्णनात्मक निबंध- किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है। स्थान, दृश्य,