निबन्ध लेखन

निबन्ध लिखना भी एक कला हैं। इसे विषय के अनुसार छोटा या बड़ा लिखा जा सकता है। निबंध को प्रबंध, लेख आदि नामों से पुकारा जाता है।

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निबन्ध लेखन

निबन्ध- अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना ‘निबन्ध’ कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही ‘निबंध’ कहलाता है।

निबंध का अर्थ

हिन्दी का ‘निबन्ध’ शब्द अँगरेजी के ‘Essay’ शब्द का अनुवाद है। अँगरेजी का ‘Essay’ शब्द फ्रेंच ‘Essai’ से बना है। Essai का अर्थ होता है- To attempt’, अर्थात ‘प्रयास करना’ ।

निबंध का अर्थ है- बँधा हुआ अर्थात एक सूत्र में बँधी हुई रचना। निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। साधारण रूप से निबंध के विषय परिचित विषय होते हैं यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे- धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, मौसम आदि।

आधुनिक निबन्धों के जन्मदाता कौन है ?

आधुनिक निबन्धों के जन्मदाता फ्रान्स के मौन्तेन माने गये है।

निबन्ध का लक्ष्य क्या होता है?

आत्मप्रकाशन ही निबन्ध का प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है।

निबंध के कितने अंग होते हैं ?

निबंध के निम्नलिखित 3 अंग होते हैं :
(1) भूमिका- यह निबंध के आरंभ में एक अनुच्छेद में लिखी जाती है। इसमें विषय का परिचय दिया जाता है।
(2) विषय-विस्तार- प्रत्येक अनुच्छेद में एक-एक पहलू पर विचार लिखा जाते है।
(3) उपसंहार- इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है।

”आधुनिक पाश्र्चात्य लक्षणों के अनुसार निबन्ध उसी को कहना चाहिए, जिसमें व्यक्तित्व अर्थात व्यक्तिगत विशेषता हो।”

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

निबन्ध लेखन में ध्यान योग्य बातें

निबन्ध लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-

  • निबन्ध लिखने से पूर्व सम्बन्धित विषय का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।
  • क्रमबद्ध रूप से विचारों को लिखा जाये।
  • निबन्ध की भाषा रोचक एवं सरल होनी चाहिए।
  • निबन्ध के वाक्य छोटे-छोटे तथा प्रभावशाली होने चाहिए।
  • (5) निबन्ध संक्षिप्त होना चाहिए। अनावश्यक बातें नहीं लिखनी चाहिए।
  • व्याकरण के नियमों और विरामादि चिह्नों का उचित प्रयोग होना चाहिए।
  • विषय के अनुसार निबन्ध में मुहावरों का भी प्रयोग करना चाहिए। मुहावरों के प्रयोग से निबन्ध सशक्त बनता है।
  • निबंध के विषय पर अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करें।
  • आरंभ, मध्य अथवा अंत में किसी उक्ति अथवा विषय से संबंधित कविता की पंक्तियों का उल्लेख करें।
  • निबंध की शब्द-सीमा का ध्यान रखें और व्यर्थ की बातें न लिखें अर्थात विषय से न हटें।
  • विषय से संबंधित सभी पहलुओं पर अपने विचार प्रकट करें।
  • सभी अनुच्छेद एक दूसरे से जुड़े हों।
  • वर्तनी व भाषा की शुद्धता, लेख की स्वच्छ्ता एवं विराम-चिह्नों पर ध्यान दें।
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