दलित कविता का विकास

दलित कविता का विकास

  • संत रैदास को हिंदी का प्रथम दलित कवि माना जाता है।
  • आधुनिक युग के दलित कवियों में प्रथम नाम हीरा डोम और स्वामी अच्युतानंद का नाम लिया जाता है।
  • दलित विद्वानों ने सन 1914 ईस्वी में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हीरा डोम की कविता अछूत की शिकायत को हिंदी की प्रथम दलित कविता माना है।
  • सन् 1954 ई. मे प्रकाशित रामजी लाल सहायक कृत ‘बंधन मुक्त’ हिन्दी का प्रथम दलित उपन्यास है। किन्तु यह अप्राप्य है।
  • सन् 1980 ई. में प्रकाशित डी० पी० वरुण कृत ‘अमर ज्योति’ रचना कालक्रम की दृष्टि से दूसरा दलित उपन्यास है। किन्तु यह अत्यन्त निम्न कोटि की रचना है।
  • सभी दलित आलोचकों एवं विद्वानों ने सन् 1994 ई. में जयप्रकाश कर्दम द्वारा रचित ‘छप्पर’ को प्रथम दलित उपन्यास स्वीकार किया जाता है।

हिंदी में प्रकाशित अन्य दलित काव्य संग्रह और उनके कवि निम्न है

लेखकउपन्यास
जय प्रकाश कर्दमछप्पर (1994)
प्रेम कपाड़ियामिट्टी की सौगन्ध (1995)
मदन दीक्षितमोरी की ईंट (1996)
सत्य प्रकाशजस तस भई सबेर (1998)
मोहनदास नैमिषराय(1) मुक्ति पर्व (2) वीरांगना झलकारी बाई (2003)
के० नाथ(1) पलायन (2006), (2) गाँव का कुआँ (2000)
अजय नावरियाउधर के लोग (2008)
एस० आर० हरनोटहिडिम्ब (2000)
अभय मौर्यमुक्ति-पथ
मोहनदास नैमिशरायआजार बाजार बंद है
नीलेश रघुवंशीएक कस्बे के नोट्स (2012)


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