Browsing Tag

हिंदी साहित्य का छायावादोत्तर युग

छायावादोत्तर युग (1936 ई. के बाद)
‘राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा’ -सियाराम शरण गुप्त, माखन लाल चतुर्वेदी, दिनकर, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, सोहन लाल द्विवेदी, श्याम नारायण पाण्डेय आदि । उत्तर-छायावादी काव्यधारा- निराला, पंत, महादेवी, जानकी वल्लभ शास्त्री आदि ।

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि रघुवीर सहाय नयी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं। इनकी कविताएं एक्सरे की तरह आने वाले समय का पूर्वाभास कर यथार्थ को बेबाकी से हमारे सामने प्रस्तुत कर देती हैं। इस पोस्ट के अध्ययन के बाद

हरी घास पर छड़ भर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हरी घास पर छड़ भर सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' का कविता संग्रह है. यहाँ पर इसकी कविता और सम्बंधित वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रस्तुत है। हरी घास पर छड़ भर आओ बैठेंइसी ढाल की हरी घास पर। माली-चौकीदारों का यह समय नहीं है,और

राम की शक्ति पूजा वस्तुनिष्ठ प्रश्न

राम की शक्ति पूजा वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1 *राम की शक्ति पूजा* का रचना काल है - ?1, 19352, 1936✔️3, 19374, 1938 2 राम की शक्ति पूजा प्रथमतः किस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी?1 भारत✔️2 मतवाला3 दिनमान4 सुधावर्षण 3 राम की शक्ति पूजा में

प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ

प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ (क) केदारनाथ अग्रवाल(ख) नागार्जुन(ग) त्रिलोचन (क) केदारनाथ अग्रवाल (1) धूप चमकती है चाँदी की साड़ी पहने मैके में आयी बेटी की तरह मगन है। (2) एक बीते के बराबर, यह हरा ठिगना चना

प्रगतिवाद (1936 से 1942 ई० )

प्रगतिवाद (1936 से 1942 ई० ) लखनऊ में अप्रैल, 1936 ई० में 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना और प्रथम अधिवेशन के समय से हिन्दी में प्रगतिवादी आन्दोलन की शुरुआत होती है। इस अधिवेशन के प्रथम अध्यक्ष मुंशी प्रेमचंद थे।सन् 1934 ई० में गोर्की

हिंदी साहित्य में नयी कविता का युग

'दूसरे सप्तक' के प्रकाशन वर्ष 1951ई० से 'नयी कविता' का प्रारंभ माना जाता है। 'नयी कविता' उन कविताओं को कहा जाता है, जिनमें परम्परागत कविता से आगे नये भाव बोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और शिल्प विधान का अन्वेषण किया

साठोत्तरी कविता आंदोलन

साठोत्तरी हिन्दी साहित्य के इतिहास के अन्तर्गत सन् 1960 ई० के बाद मुख्यतः नवलेखन (नयी कविता, नयी कहानी आदि) युग से काफी हद तक भिन्नता की प्रतीति कराने वाली ऐसी पीढ़ी के द्वारा रचित साहित्य है जिनमें विद्रोह एवं अराजकता का स्वर प्रधान था।

प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ

प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ (क) अज्ञेय (1) वही परिचित दो आँखें हीचिर माध्यम हैंसब आँखों से सब दर्दों से मेरे लिए परिचय का। (2) यह दीप अकेला स्नेह भरा, है गर्व भरा मदमाता,पर इसको भी पंक्ति दे दो। (3) किन्तु

हिंदी साहित्य का प्रयोगवाद

'प्रयोगवाद' 'तार सप्तक' के माध्यम से वर्ष 1943 ई० में प्रकाशन जगत में आई और जो प्रगतिशील कविताओं के साथ विकसित होती गयी तथा जिनका पर्यावसान 'नयी कविता' में हो गया। कविताओं को सबसे पहले नंद दुलारे बाजपेयी ने 'प्रयोगवादी कविता' कहा।