प्रगतिवाद (1936 से 1942 ई० )
- लखनऊ में अप्रैल, 1936 ई० में ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की स्थापना और प्रथम अधिवेशन के समय से हिन्दी में प्रगतिवादी आन्दोलन की शुरुआत होती है। इस अधिवेशन के प्रथम अध्यक्ष मुंशी प्रेमचंद थे।
- सन् 1934 ई० में गोर्की के नेतृत्व में रूस में ‘सोवियत लेखक संघ’ की स्थापना हुई। यह विश्व का पहला लेखक संगठन था ।
- सन् 1935 ई० में हेनरी बारबूस की पहल पर पेरिस में ई०एम० फोर्स्टर ने ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ (Progressive Writer’s Association) की स्थापना की।
- मुल्कराज आनन्द, सज्जाद जहीर, ज्योति घोष, के०एम० भट्ट, हीरेन मुखर्जी, एस० सिन्हा और मोहम्मद्दीन तासीन ने भारत की तरफ से सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में जुलाई 1935 ई० में ‘भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ’ का गठन किया।
- प्रगतिवाद का सैद्धान्तिक आधार मार्क्स का द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद है। राजनीति के क्षेत्र में जो समाजवाद या साम्यवाद है, साहित्य के क्षेत्र में वही प्रगतिवाद है।
- डॉo बच्चन सिंह ने सुमित्रानन्दन पंत कृत ‘युगवाणी’ को खड़ी बोली का प्रथम प्रगतिवादी काव्य माना है।
- डॉ॰ गणपतिचन्द्र गुप्त ने कालक्रम की दृष्टि से रामेश्वर ‘करुण’ कृत ब्रजभाषा काव्य ‘करुण सतसई’ को प्रथम प्रगतिवादी कवि और काव्य माना है।
केदारनाथ अग्रवाल
प्रमुख कवि : कालक्रमानुसार केदारनाथ अग्रवाल का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्नांकित है
- जन्म – मृत्यु (ई०) -1911-2000
- जन्मस्थान-कमासिन (बाँदा)
- माता-पिता- हनुमानप्रसाद घिमट्टी पार्वती
- प्रथम संग्रह-युग की गंगा
केदारनाथ अग्रवाल अपनी काव्य-यात्रा के आरम्भिक दौर में ‘वालेन्दु’ रचनाएँ करते थे। तब वे ब्रजभाषा में कवित्त, सवैया छंद में लिखते थे।
केदारनाथ अग्रवाल ने देश-विदेश के तमाम कवियों की कविताओं का अनुवाद ‘देश-विदेश की कविताएँ’ शीर्षक से किया।
केदारनाथ अग्रवाल की रचनाओं की कालक्रमानुसार सूची निम्न है
- युग की गंगा (1947)
- नींद के बादल (1947)
- लोक और आलोक (1957)
- कहें केदार खरी-खरी (1983)
- अपूर्वा (1984)
- फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965)
- बोले बोल अबोल (1985)
- जमुन जल तुम (1984)
- आग का आईना (1970)
- गुलमेंहदी (1978)
- जो शिलाएँ तोड़ते हैं (1985)
- आत्मगंध (1988)
- अनहारी हरियाली (1990)
- पंख और पतवार (1979)
- बंबई का रक्त स्नान (1981)
- खुली आँखें खुले डैने (1993)
- हे मेरी तुम ((1981))
- पुष्पदीप (1994)
- मार प्यार की थापें (1981)
- बसंत में हुई प्रसन्न पृथ्वी (1996)
नागार्जुन
→ नागार्जुन का संक्षिप्त जीवन-वृत्त निम्नांकित है
- जन्म-मृत्यु -1911-1998
- जन्म स्थान- तरउनी (दरभंगा)
- मूल नाम- वैद्यनाथ मिश्र
- नागार्जुन
- माता-पिता-गोकुल मिश्र उमा देवी
- उपनाम -यात्री, नागार्जुन
नागार्जुन का पहला साहित्यिक उपनाम ‘यात्री’ था। संस्कृत और मैथिली में ये ‘यात्री’ नाम से कविताएँ लिखते थे। → नागार्जुन की खड़ी बोली में सर्वप्रथम प्रकाशित रचना ‘राम के प्रति’ है जो सन् 1935 ई० में लाहौर से निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका ‘विश्वबन्धु’ में छपी थी।
० नागार्जुन की रचनाओं की कालक्रमानुसार सूची निम्न है
- युगधारा (1953)
- सतरंगे पंखों वाली (1959)
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980)
- तुमने कहा था (1980)
- हजार-हजार बाँहों वाली (1981)
- पुरानी जूतियों का कोरस (1983)
- प्यासी पथराई आँखें (1962)
- भस्मांकुर (1971)-नागार्जुन कृत ‘भस्मांकुर’ एक खण्डकाव्य है जो ‘ब’ छंद में है।
- तालाब की मछलियाँ (1975)
- नागार्जुन ने मैथिली भाषा में ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ शीर्षक से काव्य लिखा। इसमें 52 कविताएँ संकलित हैं। इस कृति पर उन्हें सन् 1968 ई० में ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार मिला। नागार्जुन ने अपनी कविता ‘प्रतिहिंसा ही स्थायी भाव है के सन्दर्भ में लिखा है.
- “यह तो नागार्जुन साहित्य का ‘मेनिफेस्टो’ है।”
- डॉo बच्चन सिंह ने नागार्जुन की कविताओं को ‘नुक्कड़ कविता’ की संज्ञा दी है। नागार्जुन को राजनीतिक कवि के रूप में भी जाना जाता है। इनकी निम्नलिखित कविताएँ प्रसिद्ध हैं- (1) बादल को घिरते देखा है, (2) पाषाणी, (3) सिन्दूर तिलकित भाल, (4) तुम्हारी दंतुरित मुस्कान, (5) पाँच पूत भारत माता के, (6) कालिदास, (7) हरिजन गाथा, (8) अकाल और उसके बाद।
- नागार्जुन को प्रगतिवाद का शलाका पुरुष कहा जाता है।
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्नांकित है
- जन्म-मृत्यु ( ई०) -1915-2002
- जन्म स्थान-झगरपुर (उन्नाव)
- मूलनाम-शिवमंगल सिंह
- उपनाम-सुमन
- प्रथम संग्रह-हिल्लोल (1939)
शिवमंगल सिंह की प्रमुख रचनाएँ निम्नांकित हैं
(1) हिल्लोल, (2) जीवन के गान, (3) युग का मोल (1945), (4) प्रलय सृजन (1950), (5) विश्वास बदलता ही गया, (6) विध्य हिमालय (1960), (7) मिट्टी की बारात (1972), (8) वाणी की व्यथा (1980), (9) पर आँखें नहीं भरी, (10) हम पक्षी उन्मुक्त गगन के।
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ को प्रसिद्ध कविताएँ निम्न हैं- (1) गुनिया का (2) कलकत्ते का अकाल, (3) चल रही कुदाली।
वासुदेव सिंह ‘त्रिलोचन’
वासुदेव सिंह ‘त्रिलोचन’ का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्न है
- जन्म-मृत्यु -1917-2007 ई०
- जन्म-स्थान-चिरानी पट्टी (सुल्तानपुर)
- मूल नाम-वासुदेव सिंह
- उपनाम-त्रिलोचन
- प्रथम संग्रह-धरती (1945 ई०)
- गजानन माधव मुक्तिबोध’ ने त्रिलोचन को ‘अवध का किसान कवि’ कहा है।
त्रिलोचन की रचनाओं की काल क्रमानुसार सूची निम्न है –
- उस जनपद का कवि हूँ (1981)
- धरती (1945)
- गुलाब और बुलबुल (1956)
- दिगन्त (1957)
- अरघान (1984)
- तुम्हें सौंपता हूँ (1985)
- ताप के ताए हुए दिन (1980)
- फूल नाम है एक (1985)
- अनकहनी भी कुछ कहनी है (1986)
- शब्द (1980) ‘अमोला’ त्रिलोचनजी की अवधी काव्य कृति है।
- 1990 में प्रकाशित इस कृति में 2700 बरवै संगृहीत हैं।
हिन्दी में सॉनेट लिखने के लिए त्रिलोचन शास्त्री प्रसिद्ध हैं।
रांगेय राघव
- रांगेय राघव (1923-1963 ई०) का मूलनाम त्र्यंबक वीर राघवाचार्य है।
- रांगेय राघव ने तीन आख्यानात्मक काव्य लिखे हैं जो निम्न हैं- (1) अजेय खण्डहर (1944), (2) मेधावी (1947), (3) पांचाली (1955)।
- ‘अजेय खण्डहर’ में तीन शीर्षकों-झंकार, ललकार, हुंकार से स्तालिनग्राद युद्ध कतिपय स्थलों का वर्णन किया गया है। के
- रांगेय राघव के दो अन्य मुक्तक काव्य हैं जो निम्न हैं- (1) पिघलते पत्थर (1946) और (2) राह के दीपक ।
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