हिन्दी भाषा का विकास
- ‘हिंदी’ विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से एक है।
- आकृति या रूप के आधार पर हिन्दी वियोगात्मक या विश्लिष्ट भाषा है।
- भाषा-परिवार के आधार पर हिन्दी भारोपीय (Indo-European) परिवार की भाषा है।
- भारत में 4 भाषा-परिवार- भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रिक व चीनी-तिब्बती मिलते हैं। भारत में बोलनेवालों के प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा-परिवार है।

भाषा-परिवार | भारत में बोलनेवालों का % |
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भारोपीय | 73% |
द्रविड़ | 25% |
आस्ट्रिक | 1.3% |
चीनी-तिब्बती | 0.7% |
- हिन्दी, भारोपीय/भारत-यूरोपीय के भारतीय-ईरानी (Indo-Iranian) शाखा के भारतीय आर्य (Indo-Aryan) उपशाखा की एक भाषा है।
- भारतीय आर्यभाषा (भा. आ.) को तीन कालों में विभक्त किया जाता है।
नाम | प्रयोग काल | उदाहरण |
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प्राचीन भारतीय आर्यभाषा (प्रा. भा. आ.) | 1500 ई० पू० – 500 ई० पू० | वैदिक संस्कृत व लौकिक संस्कृत |
मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा (म. भा. आ.) | 500 ई० पू – 1000 ई० | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश |
आधुनिक भारतीय आर्यभाषा (आ. भा. आ.) | 1000 ई० – अब तक | हिन्दी और हिन्दीतर भाषाएं- बांग्ला, उड़िया, असमिया, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिंधी आदि |
प्राचीन भारतीय आर्यभाषा (प्रा. भा. आ.)
नाम | अन्य नाम | प्रयोग काल |
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वैदिक संस्कृत | छान्दस (यास्क, पाणिनी द्वारा प्रयुक्त नाम) | 1500 ई० पू० – 1000 ई० पू० |
लौकिक संस्कृत | संस्कृत, भाषा (पाणिनी द्वारा प्रयुक्त नाम) | 1000 ई० पू० – 500 ई० पू० |
मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा (म. भा. आ.)
नाम | प्रयोग काल | विशेष टिप्पणी |
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प्रथम प्राकृत काल : पालि | 500 ई० पू० – 1ली ई० | भारत की प्रथम देश भाषा, भगवान बुद्ध के सारे उपदेश पालि में ही हैं। |
द्वितीय प्राकृत काल : प्राकृत | 1ली ई० – 500 ई० | भगवान महावीर के सारे उपदेश प्राकृत में ही है। |
तृतीय प्राकृत काल : अपभ्रंश | 500-1000 ई० | |
: अवहट्ट | 900-1100 ई० | संक्रमणकालीन/संक्रातिकालीन भाषा |
आधुनिक भारतीय आर्यभाषा (आ. भा. आ.)हिन्दी
प्राचीन हिन्दी | 1100 ई० – 1400 ई० |
मध्यकालीन हिन्दी | 1400 ई० – 1850 ई० |
आधुनिक हिन्दी | 1850 ई० – अब तक |
- हिन्दी की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है। फिर अपभ्रंश, अवहट्ट से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिन्दी का रूप लेती है। सामान्यतः हिन्दी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।
हिन्दी का विकास क्रम :
- संस्कृत-पालि-प्राकृत-अपभ्रंश-अवहट्ट-प्राचीन/प्रारंभिक हिन्दी