हिंदी की व्युत्पत्ति

हिंदी की व्युत्पत्ति

हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द ‘सिन्धु’ से माना जाता है। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा ‘हिन्द’ शब्द पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से (हिन्द+ईक) ‘हिन्दीक’ बना जिसका अर्थ है ‘हिन्द का’।

यूनानी शब्द ‘इन्दिका’ या अंग्रेजी शब्द ‘इण्डिया’ आदि इस ‘हिन्दीक’ के ही विकसित रूप हैं। हिन्दी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी के ‘ज़फरनामा’ (1424) में मिलता है।

अरबी एवं फ़ारसी साहित्य में हिन्दी में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए ‘ज़बान-ए-हिन्दी’ पद का उपयोग हुआ है। भारत आने के बाद मुसलमानों ने ‘ज़बान-ए-हिन्दी’, ‘हिन्दी जुबान’ अथवा ‘हिन्दी’ का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया। भारत के गैर-मुस्लिम लोग तो इस क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा-रूप को ‘भाखा’ नाम से पुकराते थे, ‘हिन्दी’ नाम से नहीं।

हिन्दी की विशेषताएँ

1. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है।

2. वह सबसे अधिक सरल भाषा है।

3. वह सबसे अधिक लचीली भाषा है।

4. वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं।

5. वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है।

6. हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।

7. हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती।

8. हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।

9. हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।

10. हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मोहताज नहीं रही।

11. भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन

12. भारत की सम्पर्क भाषा

13. भारत की राजभाषा

(लेख: साभार विकिपीडिया)

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