दिव्या-यशपाल

'दिव्या' का कथानक बौद्धकाल की स्मृतियों पर आधारित है। 'दिव्या' यशपाल के श्रेष्ठ उपन्यासों में एक से है। इस उपन्यास में युग-युग की उस दलित-पीड़ित नारी की करुण कथा है, जो अनेकानेक संघर्षों से गुज़रती हुई अपना स्वस्थ मार्ग पहचान

पत्रों के प्रकार

पत्रों के प्रकार मुख्य रूप से पत्रों को निम्नलिखित दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : (1) अनौपचारिक-पत्र (Informal Letter)(2) औपचारिक-पत्र (Formal Letter) (1)अनौपचारिक पत्र- वैयक्तिक अथवा व्यक्तिगत पत्र अनौपचारिक पत्र की

पत्र लेखन एक कला है

पत्र लेखन एक कला है एक पत्र में न केवल उसके लेखक की भावनाएं व्यक्त होती हैं, बल्कि उसका व्यक्तित्व भी उभर कर सामने आता है। इससे लेखक का चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कृति, मानसिक स्थिति, आचरण आदि सभी एक साथ प्रतिबिंबित होते हैं। अतः पत्र लिखना

पत्र के भाग

पत्र को जिस क्रम में प्रस्तुत किया जाता हैं अथवा लिखा जाता हैं, वे पत्र के भाग कहलाते हैं। अनौपचारिक व औपचारिक पत्रों में पत्र के भाग सामान्य रूप से समान होते हैं। दोनों श्रेणियों के पत्रों में कुछ अन्तर होता हैं। जिसे यहाँ स्पष्ट किया गया

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु

भारत दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र) : प्रमुख बिंदु भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन 1875 ई में रचित एक हिन्दी नाटक है। भारत दुर्दशा में भारतेन्दु ने अपने सामने प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वर्तमान लक्ष्यहीन पतन की ओर उन्मुख भारत का

श्री वल्लभाचार्य जी : सगुण धारा कृष्ण-भक्ति शाखा के कवि

श्री वल्लभाचार्यजी वैष्णव धर्म के प्रधान प्रवर्त्तकों में से थे। ये वेदशास्त्र में पारंगत धुरंधर विद्वान् थे। वल्लभाचार्य ने सगुण रूप को ही असली पारमार्थिक रूप बताया और निर्गुण को उसका अंशतः तिरोहित रूप कहा। श्री वल्लभाचार्य जी :

अच्छे पत्र की विशेषताएँ

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएँ है- (1) प्रभावोत्पादकता(2) विचारों की सुस्पष्ठता(3) संक्षेप और सम्पूर्णता(4) सरल भाषाशैली(5) बाहरी सजावट(6) शुद्धता और स्वच्छता(7) विनम्रता और शिष्टता(8) सद्भावना(9) सहज और स्वाभाविक शैली(10)

वाक्यों का रूपान्तरण

वाक्यों का रूपान्तरणवाक्यों का रूपान्तरणसरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तनसंयुक्त वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तनसरल वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तनमिश्र वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तनसंयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य में परिवर्तनमिश्र

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम

वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम वाक्य रचना के कुछ सामान्य नियम क्रम (order)क्रम-संबंधी कुछ अन्य बातें अन्वय (मेल)कर्ता और क्रिया का मेलकर्म और क्रिया का मेलप्रयोगकुछ आवश्यक निर्देशअन्य बातें ''व्याकरण-सिंद्ध पदों को मेल के अनुसार

वाक्य के तत्व

वाक्य के अनिवार्य तत्व(1) सार्थकता- (2) योग्यता - (3) आकांक्षा- (4) निकटता- (5) क्रम - (6) अन्वय -  वाक्य के अनिवार्य तत्व (1) सार्थकता-  सार्थकता वाक्य का प्रमुख गुण है। इसके लिए आवश्यक है कि वाक्य में सार्थक शब्दों का ही प्रयोग