प्रमुख हिन्दी भाषा के इतिहास

प्रमुख हिन्दी भाषा के इतिहास हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार

भारतेंदु युग के नाटककार के नाटक

भारतेंदु युग के प्रमुख नाटककार एवं उनके नाटक यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं - भारतेंदु युग के नाटककार के नाटक प्राणचंद चौहान -रामायण महानाटकमहाराज विश्वनाथ सिंह -आनंद रघुनंदनगोपालचंद्र गिरिधर दास- नहुषभारतेंदु हरिश्चंद्र

संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ

संत काव्य /निर्गुण काव्य की विशेषताएँ- संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ संत काव्य /निर्गुण काव्य की विशेषताएँ-धार्मिक क्षेत्र में :सामाजिक क्षेत्र में:शिल्पगत क्षेत्र में: संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ धार्मिक

हिंदी साहित्य के उपन्यासकार

हिंदी साहित्य के उपन्यासकार व उनके उपन्यास की सूची यहाँ दिए जा रहे हैं - हिंदी साहित्य के उपन्यासकार उपन्यासकारउपन्यासश्रद्धाराम फिल्लौरीभाग्यवतीलाला श्रीनिवासदासपरीक्षागुरूबालकृष्ण भट्टनूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजानभारतेंदु

रीतिकाल : हिंदी साहित्य का इतिहास

रीतिकाल : हिंदी साहित्य का इतिहास रीतिकाल का नामकरण रीतिकालीन कवि के वर्गरीतिकाल की उपलब्धियां :हिंदी आचार्यों के दोषरीति आचार्यों की योगदान का मूल्यांकननिष्कर्ष: रीतिकाल का नामकरण विवादास्पदमिश्र बंधु - 'अलंकृत काल', रामचन्द्र

भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँ

भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँतुलसीदास की पंक्तियाँकबीरदास की पंक्तियाँमलिक मुहम्मद जायसी  की पंक्तियाँसूरदास की पंक्तियाँरहीमदास की पंक्तियाँमीराबाई की पंक्तियाँरैदास की पंक्तियाँरसखान की पंक्तियाँउसमान की पंक्तियाँदादू की पंक्तियाँअन्य

हिंदी साहित्य का भक्तिकाल

हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के बारे में रामचन्द्र शुक्ल के मत, 'देश में मुसलमानों का राज्य प्रतिष्ठित हो जाने पर हिन्दू जनता के हृदय में गौरव, गर्व और उत्साह के लिए वह अवकाश न रह गया। उसके सामने ही उनके देव मंदिर गिराए जाते थे, देव मूर्तियाँ

हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग

हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाम पर हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग का नामकरण किया गया है। हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग (पुनर्जागरण काल) 1857-1900 ई. Bhartendu Harishchandra हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग