पत्र लेखन एक कला है

पत्र लेखन एक कला है

एक पत्र में न केवल उसके लेखक की भावनाएं व्यक्त होती हैं, बल्कि उसका व्यक्तित्व भी उभर कर सामने आता है। इससे लेखक का चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कृति, मानसिक स्थिति, आचरण आदि सभी एक साथ प्रतिबिंबित होते हैं। अतः पत्र लिखना एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। परंतु इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यापारिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक एवं साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।

पत्र लेखन

पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें

(1) जिस पद के लिए पत्र लिखा गया हो उसी के अनुरूप शिष्टाचारी शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
(2) पत्र में हृदय के भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त होने चाहिए।
(3) पत्र की भाषा सरल एवं विनम्र होनी चाहिए।
(4) पत्र में फालतू बातें नहीं लिखनी चाहिए। इसमें मुख्य विषय ही लिखना चाहिए.
(5) पत्र में आशय व्यक्त करने के लिए छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
(6) पत्र लिखने के बाद उसे एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
(7) पत्र प्राप्तकर्ता की उम्र, संबंध, योग्यता आदि को ध्यान में रखकर भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
(8) अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
(9) पत्र में लिखी स्पेलिंग सही होनी चाहिए तथा लिखावट साफ होनी चाहिए।
(10) पत्र भेजने वाले (प्रेषक) और प्राप्तकर्ता (रिसीवर) का नाम, पता आदि स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए।
(11) पत्र के विषय से भटकना नहीं चाहिए अर्थात अनावश्यक बातों का जिक्र नहीं करना चाहिए।

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