वाक्य के भेद

वाक्य के भेद वाक्य के भेद(1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पर(i)साधारण वाक्य या सरल वाक्य:-(ii)मिश्रित वाक्य:-(iii)संयुक्त वाक्य :-(2) वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर (1) वाक्य के भेद- रचना के आधार पर रचना के आधार पर वाक्य के तीन

रस के अंग

रस के चार अंग है-(1) विभाव :- (2) अनुभाव :- (3) व्यभिचारी या संचारी भाव :- (4) स्थायी भाव :-  (1) विभाव :- जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को 'विभाव' कहा जाता

छन्द के भेद

छन्द के भेद छन्द के भेद(1) वर्णिक छन्द- वार्णिक छन्द के भेददण्डक वार्णिक छन्द साधारण वार्णिक छन्द प्रमुख वर्णिक छंद(2) वार्णिक वृत्त-(3) मात्रिक छन्द- प्रमुख मात्रिक छन्द(४) मुक्तछंद वर्ण और मात्रा के विचार से छन्द के चार भेद है-(1)

लक्षणा शब्द शक्ति

लक्षणा शब्द शक्ति लक्षणा शब्द शक्तिलक्षणा के भेद(1) रूढ़ा लक्षणा-(2) प्रयोजनवती लक्षणा-प्रयोजनवती लक्षणा के भेद(3) व्यंजना (Suggestive Sense Of a Word)-व्यंजना के भेदव्यंजना के भेद मुख्यार्थ के बाधित होने पर जिस शक्ति के द्वारा

रस के प्रकार

रस के प्रकाररस के भेद(1) शृंगार रस(2) हास्य रस(3) करुण रस(4) वीर रस(5) रौद्र रस(6) भयानक रस(7) बीभत्स रस(8) अदभुत रस(9) शान्त रस(10) वात्सल्य रस(11) भक्ति रस रस के भेद आचार्य भरतमुनि ने नाटकीय महत्त्व को ध्यान में रखते हए आठ रसों का

अभिधा शब्द शक्ति

अभिधा शब्द शक्ति जिस शक्ति के माध्यम से शब्द का साक्षात् संकेतित (पहला/मुख्य/प्रसिद्ध/प्रचलित/पूर्वविदित) अर्थ बोध हो, उसे 'अभिधा' कहते हैं। जैसे- 'बैल खड़ा है।'- इस वाक्य को सुनते ही बैल नामक एक विशेष प्रकार के जीव को हम समझ लेते

निबन्ध की विशेषताएँ

निबन्ध की विशेषताएँ निबन्ध की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं।-(1) व्यक्तित्व का प्रकाशन(2)संक्षिप्तता(3)एकसूत्रता(4)अन्विति का प्रभाव (1)व्यक्तित्व का प्रकाशन :- निबन्धरचना का प्रथम लक्ष्य हैं- व्यक्तित्व का प्रकाशन। निबन्ध में

निबंध के प्रकार

परिभाषा - निबन्ध वह रचना है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तार और पाण्डित्यपूर्ण विचार किया जाता है। वास्तव में, निबन्ध शब्द का अर्थ है-बन्धन। यह बन्धन विविध विचारों का होता है, जो एक-दूसरे से गुँथे होते हैं और किसी विषय की व्याख्या करते हैं।

कारक के विभक्ति चिन्ह

कारकों की पहचान के चिह्न व लक्षण निम्न प्रकार हैं- कारक के विभक्ति चिन्हविभक्तियों की प्रायोगिक विशेषताएँविभक्तियों का प्रयोग(1)कर्ता कारक (Nominative case):-कर्ता के 'ने' विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहाँ होता ?कर्ता के 'ने' विभक्ति-चिह्न

काव्य हेतु

काव्य हेतु से तात्पर्य काव्य की उत्पत्ति का कारण है। बाबू गुलाबराय के अनुसार 'हेतु' का अभिप्राय उन साधनों सेे है, जो कवि की काव्य रचना में सहायक होते है। काव्य हेतु पर सर्वप्रथम् 'अग्निपुराण ' में विचार किया गया है।काव्य हेतु पर विभिन्न