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हिंदी साहित्य का इतिहास

जैन साहित्य की प्रमुख रचनाएं

जैन कवियों ने आचार, रास, पाश, चरित आदि विभिन्न शैलियों में साहित्य लिखा है, लेकिन जैन साहित्य का सबसे अधिक लोकप्रिय रुप 'रास' ग्रन्ध माने जाते है। यह रास ग्रन्थ वीरगाथा रासो से अलग है। रास एक तरह से गेयरुपक है। जैन मंदिरों में आवक लोग

जैन साहित्य के बारे में तथ्य

जैन धर्म के मूल सिद्धान्त जैन धर्म के मूल सिद्धान्त चार बातों पर आधारित हैं - अहिंसा, सत्य भाषण , अस्तेय और अनासक्ति। बाद में ब्रह्माचर्य भी इसमें शामिल कर लिया गया। इस धर्म में बहुत से आचार्य और तीर्थकार हुए. जिनकी संख्या २४ मानी जाती

हिंदी साहित्य का सिद्ध साहित्य

भारतीय साधना के इतिहास में ८ वीं शती में सिद्धों की सत्ता देखी जा सकती है। सिद्ध परम्परा का जन्म बौद्ध धर्म की घोर विकृति के फलस्वरूप माना जाता है। हिन्दी साहित्य का आदिकाल हिंदी साहित्य का सिद्ध साहित्य सिद्ध के बारे में महत्वपूर्ण

हिंदी का प्रथम कवि किसे माना जाए?

हिंदी का प्रथम कवि किसे माना जाए? इसे अलग अलग भाषाशास्त्री में अलग अलग मत है :- डॉ शिव सिंह सेंगर के अनुसार, सातवीं सदी में उत्पन्न ‘पुष्य’ या ‘पुंड’ नामक किसी कवि को हिंदी का प्रथम कवि माना था. परंतु अभी तक उसकी कोई रचना उपलब्ध नहीं

हिंदी साहित्य का आरंभ

हिंदी साहित्य के आरंभ का प्रश्न हिन्दी भाषा के आरंभ से जुड़ा हुआ है. साहित्य के आरंभ का निर्णय 'साहित्य की चेतना के आधार पर भी किया ही जा सकता है . भाषा के विकास की आरंभिक स्थिति तथा उत्तरवर्ती धार्मिक चेतना के मूल रूप को ध्यान में

हिंदी साहित्य का इतिहास दर्शन

साहित्य के इतिहास में हम प्राकृतिक घटनाओं व मानवीय क्रियाकलापों के स्थान पर साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन ऐतिहासिक दृष्टि से करते हैं . इतिहास का अर्थ एवं स्वरूपइतिहास दर्शन की रूपरेखा भारतीय दृष्टिकोण पाश्चात्य दृष्टिकोणसाहित्य का

हिंदी साहित्य के दर्शन

यहाँ पर हिंदी साहित्य के प्रमुख दर्शन के बारे में बताया गया है हिंदी साहित्य के दर्शन सांख्यकपिलयोगपतंजलिन्यायअक्षपाद गौतमवैशेषिकउलूक कणदमीमांसा/पूर्व-मीमांसाजैमिनीवेदांत/उत्तर मीमांसाबादरायणलोकायत/बार्हस्पत्यचार्वाक (बृहस्पति