जैन साहित्य की प्रमुख रचनाएं

जैन कवियों ने आचार, रास, पाश, चरित आदि विभिन्न शैलियों में साहित्य लिखा है, लेकिन जैन साहित्य का सबसे अधिक लोकप्रिय रुप ‘रास’ ग्रन्ध माने जाते है। यह रास ग्रन्थ वीरगाथा रासो से अलग है। रास एक तरह से गेयरुपक है।

जैन मंदिरों में आवक लोग रात्री के समय ताल देकर रास का गायन करते थे। इस रास में जैन तीर्थकारों के जीवनचरित, वैष्णव अवतारों की कथाएँ तथा जैन आदर्शों का प्रतिपादन हुआ करता था। आगे चलकर ‘रास काव्य
एक ऐसे काव्य रुप के रुप में निश्चित हो गया जो गेय हो।

हिन्दी में इस परम्परा का प्रवर्तन जैन साधु शालिभद्र सूरि द्वारा लिखित “भरतेश्वर बाहुबली रास” से माना जाता है।

रास या जैन साहित्य की प्रमुख रचनाएं और उनके रचनाकार इस प्रकार से हैं

रचना का नाम- रचनाकार का नाम

रचना का नामरचनाकार का नाम
भरतेश्वर बाहुबली रासशालिभद्र सूरि (1184 ई.)
पांच पांडव चरित रासशालिभद्र सूरि (14 वीं शताब्दी)
बुद्धि रासशालिभद्र सूरि
चंदनबाला रासकवि आसगु (1200 ई. जालौर)
जीव दया रासकवि आसगु
स्थुलिभद्र रासजिन धर्म सूरि (1209 ई.)
रेवंतगिरि रासविजय सेन सूरि (1231 ई.)
नेमिनाथ राससुमित गुणि (1231 ई.)
गौतम स्वामी रासउदयवंत/विजयभद्र
उपदेश रसायन रासजिन दत्त सूरि
कच्छुलि रासप्रज्ञा तिलक
जिन पद्म सूरि राससारमूर्ति
करकंड चरित रासकनकामर मुनि
आबूरासपल्हण
गय सुकुमाल रासदेल्हण/देवेन्द्र सूरि
समरा रासअम्बदेव सूरि
अमरारासअभय तिलकमणि
भरतेश्वर बाहुबलि घोर रासवज्रसेन सूरिमुंजरास- अज्ञात
नेमिनाथ चउपईविनयचन्द्र सूरि(1200 ई.)
नेमिनाथ चरिउहरिभद्र सूरि (1159 ई.)
नेमिनाथ फागुराजशेखर सूरि (1348 ई.)
कान्हड़-दे-प्रबंधपद्मनाभ
हरिचंद पुराणजाखू मणियार (1396 ई.)
पास चरिउ(पार्श्व पुराण)पदम कीर्ति
सुंदसण चरिउ (सुदर्शन पुराण)नयनंदी
प्रबंध चिंतामणिजैनाचार्य मेरुतुंग
कुमारपाल प्रतिबोधसोमप्रभ सूरि (1241ई.)
श्रावकाचारदेवसेन (933 ई.)
दब्ब-सहाव-पयास-देवसेन
लघुनयचक्रदेवसेन
दर्शनसारदेवसेन

जैन अपभ्रंश साहित्य की रचना करनेवाले तीन प्रसिद्ध कवि है – स्वयंभू पुष्पदन्त और धनपाल। इन्होंने उत्कृष्ट
काव्यों की रचना की। इनके अतिरिक्त देवसेन, जिनदत्त सुरि, हेमचन्द्र, हरिभद्र सूरि, सोमप्रभू सूरि, असरा कवि, जिन धर्म सूरि, विपनचन्द्र सूरि आदि इस सम्प्रदाय के प्रख्याति रचनाकार माने जाते है।

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