हिंदी साहित्य का इतिहास दर्शन
साहित्य के इतिहास में हम प्राकृतिक घटनाओं व मानवीय क्रियाकलापों के स्थान पर साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन ऐतिहासिक दृष्टि से करते हैं .
Table of Contents
इतिहास का अर्थ एवं स्वरूप
- इतिहास का अर्थ -“ऐसा ही था” या ” ऐसा ही हुआ”.
- इतिहास के अंतर्गत केवल वास्तविक या यथार्थ घटनाओं का भी समावेश किया जाता है .
- इतिहास का संबंध केवल प्रसिद्ध घटनाओं से ही नहीं अपितु उन घटनाओं से भी है ,जो प्रसिद्ध ना होते हुए भी यथार्थ में घटित हुई हो.
- इतिहास से कवि ,साहित्यकार ,उपदेशक ,शोधकर्ता आदि विभिन्न वर्ग के लोग प्रेरणा ग्रहण करते रहे हैं
- आधुनिक युग में इतिहास को कला की अपेक्षा विज्ञान के अधिक निकट माना जाता है
इतिहास दर्शन की रूपरेखा
भारतीय दृष्टिकोण
- इतिहास के प्रति भारतीय दृष्टिकोण आदर्श एवं अध्यात्म का रहा है
- प्राचीन युग में भारतीय इतिहासकारों की रचनाएं चारित्रिक मूल्यों नैतिक उपदेशों व आध्यात्मिक रूप से से युक्त होकर पौराणिक रूप में परिणित हो गई
- परवर्ती इतिहासकारों की रचनाएं शुद्ध इतिहास के अपेक्षा काव्यात्मक इतिहास या ऐतिहासिक काव्य के रूप में विकसित हुई
- भारतीय इतिहासकार ने अपनी संस्कृति एवं जीवन के आदर्शों के अनुरूप ही इतिहास के क्षेत्र में भी समन्वयात्मक दृष्टिकोण का परिचय देते हुए उसमें सत्यम शिवम सुंदरम के समन्वय का प्रयास किया
पाश्चात्य दृष्टिकोण
इतिहास के प्रथम व्याख्याता यूनानी विद्वान हीरोदोत्स ने इसके चार लक्षण निर्धारित किए:-
- इतिहास वैज्ञानिक विद्या है ,अतः इसकी पद्धति आलोचनात्मक होती है
- यह मानव जाति से संबंधित होने कारण मानवीय विद्या है
- इतिहास तर्कसंगत विद्या है, अतः इसमें तथ्य और निष्कर्ष प्रमाण पर आधारित होते हैं
- यह अतीत के आलोक में भविष्य पर प्रकाश डालता है अतः यह शिक्षाप्रद विद्या है
- हीगल के मतानुसार, विश्व इतिहास की प्रक्रिया का मूल लक्ष्य मानव चेतना का विकास है, जो द्वंद्वात्मक पद्धति पर आधारित है . इस द्वंद्वात्मक पद्धति या प्रक्रिया के अनुसार, वाद एवं प्रतिवाद के द्वंद से संवाद का विकास होता है. इतिहास की व्याख्या भी इसी द्वंद्वात्मक पद्धति के आधार पर होनी चाहिए .
- आज पाश्चात्य इतिहास दर्शन के सर्व प्रमुख एवं सर्वाधिक विकसित दृष्टिकोण के रूप में विकासवादी दृष्टिकोण को स्वीकार किया जा सकता है .
- 19वीं सदी में डार्विन ने अपने विकासवादी सिद्धांत की स्थापना की . जिसमें इतिहास का अर्थ घटना समूह का संकलन ना होकर विकास क्रम क्रम का विवेचन है.
साहित्य का इतिहास दर्शन
साहित्य के इतिहास में हम प्राकृतिक घटनाओं व मानवीय क्रियाकलापों के स्थान पर साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन ऐतिहासिक दृष्टि से करते हैं
दूसरे शब्दों में ,साहित्यिक रचनाएं के इतिहास को समझने के लिए उनके रचयिता तथा उनके संबंधित स्थितियों, परिस्थितियों और परंपराओं को समझना भी आवश्यक है .
किसी भी साहित्य की विकास प्रक्रिया के अध्ययन के लिए उससे संबंधित पांच तत्वों पर विचार किया जाना चाहिए :-
- सृजन शक्ति (साहित्यकार की प्रतिभा और उसका व्यक्तित्व )
- परंपरा (साहित्यिक व सांस्कृतिक परंपराएं )
- वातावरण
- द्वंद्व
- संतुलन