हिंदी साहित्य इतिहास पुनर्लेखन क्यों ? इसके बारे में विस्तार में हम जानने वाले हैं .
Table of Contents

हिंदी साहित्य इतिहास पुनर्लेखन की आवश्यकता :-
- साहित्य चेतना का विकास
- नवीन शोध परिणाम
दो मौलिक प्रश्न है सामने :
- हिंदी का स्वरुप विस्तार कहाँ तक है?
- साहित्य की सीमा क्या है?
आधार स्रोत:
- इतिहास में ऐसी सामग्री का उपयोग करना चाहिए,जिसकी प्रमाणिकता असंदिग्ध है.
- संदिग्ध सामग्री का भी,यदि वह इतिहास के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, तो उल्लेख महत्वपूर्ण हो सकता है. परन्तु उस पर प्रश्नवाचक चिन्ह अवश्य रहना चाहिए.
आवश्यक बातें:
- ऐतिहासिक दृष्टि और आलोचनात्मक ढंग से लेखक कार्य संपन्न करे तो उत्तम होगा.
- युगचेतना और साहित्य्चेतना के समन्वय पर आधारित साहित्य के इतिहास के संश्लिष्ट स्वरुप को ही स्वीकार करना चाहिए.
- नविन शोध सामग्री का उपयोग आवश्यक है.
- जीवनवृत तथा ग्रन्थ विवरण साहित्य विवेचन से पूर्व देना संगत होता है .
- विक्रम संवत की अपेक्षा ईस्वी सन का प्रयोग करना उचित है,ताकि जीवंत संपर्क रहे.