भाषा ध्वनि अर्थ परिवर्तन के कारण दिशायें

अर्थ विज्ञान


विषय- भाषा ध्वनि अर्थ परिवर्तन के कारण दिशायें

अर्थ विज्ञान
अर्थ विज्ञान

प्रश्न 1) अपभ्रंश के प्रथम महाकवि कौन है-
1)हेमचंद्र
2)स्वयम्बू✔
3)जोइन्दु
4)रामचंद्र

प्रश्न 2) मानक हिंदी का विकास किस बोली से हुआ
है-
1)खडीबोली हिंदी✔
2)ब्रज भाषा
3)अवधी
4)बांगरू

प्रश्न 3) फोनोलॉज़ी का अर्थ है-
1)ध्वनि✔
2)भाषा
3)अर्थ
4)सभी

प्रश्न 4) आप तो बुद्धि के सागर हैं-
1)अलंकारिक प्रयोग
2)सामान्य के लिए विशेष
3)✔आत्मश्लाघा की भावना
4)बल का अपसरण

प्रश्न 5)- लिपि के विकास क्रम में पहली लिपि है-
1)भावमूलक लिपि
2)चित्र लिपि✔
3)सूत्र लिपि
4)प्रतीकात्मक लिपि

प्रश्न 6) अंग्रेजी से आगत स्वर है-
1)ऋ
2)फ़
3)ष
4)आ✔

प्रश्न 7) बनर्जी का बनरजी उच्चारण है-
1)अज्ञानता
2)भावावेश
3)भ्रामक व्युत्पत्ति✔
4)सादृश्यता

प्रश्न 8)- भाषा के संदर्भ में अशुद्ध तथ्य है-
1)भाषा अर्जित संपत्ति हैं।
2)भाषा सामाजिक वस्तु नहीं हैं।✔
3)भाषा परिवर्तन शील है।
4)भाषा अनुकरण से सीखी जाती है।

प्रश्न 9) पंडित शब्द का वर्तमान में हुआ है-
1) अर्थ विस्तार✔
2) अर्थ संकोच
3) अर्थ संक्रमण
4) अर्थादेश

प्रश्न 10)-कालिदास, भवभूति,जयदेव किस भाषा के रचनाकार हैं?
1)अपभ्रंश
2)प्राकृत
3)संस्कृत✔
4)पाली

प्रश्न 11) शुद्ध मूल स्वर विकृत है-
1) अ
2) आ✔
3) इ
4) ई

प्रश्न 12)-खड़ी बोली का दूसरा नाम क्या है-
1)कन्नौजी
2)कौरवी✔
3)बघेली
4)मगही

प्रश्न 13) ऑटो रिक्शा का “ऑटो” अर्थ परिवर्तन है-
1)अज्ञान
2)भ्रांति
3)संछेपन✔
4)बल का अपसरण

प्रश्न 14-पश्चिमी हिंदी का उदभव किस अपभ्रंश से हुआ है-
1)मागधी
2)अर्द्ध मागधी
3)शौरसेनी✔
4)पैशाची

प्रश्न 15-ह ,क ध्वनि हैं-
1)काकल्य✔
2)संघर्षी
3)दोनों सही
4) दोनो गलत

प्रश्न 16) ध्वनि परिवर्तन में स्टेशन का इस्टेशन उच्चारण है-
1)अशिक्षा के कारण
2)भावावेश
3)बनकर बोलना
4)प्रयत्न लाघव✔

प्रश्न 17)-हिंदी को भारतीय संविधान में संघ की राजभाषा के रूप में कब मान्यता मिली?
1) 14 सितम्बर 1949✔
2) 14 सितम्बर 1948
3) 14 सितम्बर 1950
4) 14 सितम्बर 1953

प्रश्न 18) “काम देव का भाई” अर्थ परिवर्तन का कारण है-
1)शिष्टाचार
2)विनम्रता
3)व्यंग✔
4)अज्ञान

प्रश्न 19-अपभ्रंश को “पुरानी हिंदी” कहने वाले प्रथम लेखक कौन हैं-
1)चन्द्रधर शर्मा गुलेरी✔
2)रामचंद्र शुक्ल
3)ग्रियर्सन
4)शिवसिंह सेंगर

प्रश्न 20- तालव्य नियम है-
1)जर्मनी विद्वान
2)थाम्पसन✔
3)रूसी विद्वान
4)कार्ल बर्गर

भाषा एक प्रतीक व्यवस्था के रूप में

Hindi Sahity

प्रतीक’ जिस अर्थ तथा वस्तु की ओर संकेत करता है, वस्तुतः वह संसार में सबके लिए समान होते हैं अंतर केवल प्रतीक के स्तर पर ही होता है। ‘किताब’ शब्द (प्रतीक) का अर्थ तथा वस्तु किताब तो संसार में हर भाषा-भाषी के लिए समान है अंतर केवल ‘प्रतीक’ के स्तर पर ही है।

बोली विभाषा एवं भाषा

विभिन्न बोलियां राजनीतिक-सांस्कृतिक आधार पर अपना क्षेत्र बढ़ा सकती है और साहित्य रचना के आधार पर वे अपना स्थान ‘बोली’ से उच्च करते हुए ‘विभाषा’ तक पहुँच सकती है। बोली विभाषा एवं भाषा

हिन्दी आंदोलन से संबंधित संस्थाएँ

हिन्दी आंदोलन से संबंधित संस्थाएँ हिन्दी आंदोलन से संबंधित धार्मिक सामाजिक संस्थाएँ नाम मुख्यालय स्थापना संस्थापक ब्रह्म समाज कलकत्ता 1828 ई० राजा राम मोहन राय प्रार्थना समाज बंबई 1867 ई० आत्मारंग पाण्डुरंग आर्य समाज बंबई 1875 ई० दयानंद सरस्वती थियोसोफिकल सोसायटी अडयार मद्रास 1882 ई० कर्नल एच.एस.आलकाट एवं मैडम बलावत्सकी सनातन धर्म सभ (भारत धर्म … Read more

राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए नेताओं का योगदान

भाषा विज्ञान और हिंदी भाषा

महात्मा गाँधी राष्ट्र के लिए राष्ट्रभाषा को नितांत आवश्यक मानते थे। उनका कहना था : ‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है’। गाँधीजी हिन्दी के प्रश्न को स्वराज का प्रश्न मानते थे : ‘हिन्दी का प्रश्न स्वराज का प्रश्न है’। राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए नेताओं का योगदान महात्मा गाँधी ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में सामने … Read more

हिंदी भाषा विकास में सामाजिक संस्थाओं का योगदान

Hindi Sahity

हिंदी के लिए धर्म/समाज सुधारकों का योगदान: धर्म/समाज सुधार की प्रायः सभी संस्थाओं ने हिन्दी के महत्व को भाँपा और हिन्दी की हिमायत की। हिंदी भाषा विकास में सामाजिक संस्थाओं का योगदान ब्रह्म समाज (1828 ई०) ब्रह्म समाज (1828 ई०) के संस्थापक राजा राममोहन राय ने कहा : ‘इस समग्र देश की एकता के लिए हिन्दी अनिवार्य है’ … Read more

हिंदी भाषा के लिए अंग्रेजों का योगदान

हिन्दी की व्यावहारिक उपयोगिता, देशव्यापी प्रसार एवं प्रयोगगत लचीलेपन के कारण अंग्रेजों ने हिन्दी को अपनाया। उस समय हिन्दी और उर्दू को एक ही भाषा मानी जाती थी जो दो लिपियों में लिखी जाती थी। अंग्रेजों ने हिन्दी को प्रयोग में लाकर हिन्दी की महती संभावनाओं की ओर राष्ट्रीय नेताओं एवं साहित्यकारों का ध्यान खींचा। … Read more

आधुनिक कालीन हिन्दी – खड़ी बोली

हिन्दी के आधुनिक काल तक आतेआते ब्रजभाषा जनभाषा से काफी दूर हट चुकी थी और अवधी ने तो बहुत पहले से ही साहित्य से मुँह मोड़ लिया था। 19वीं सदी के मध्य तक अंग्रेजी सत्ता का महत्तम विस्तार भारत में हो चुका था। इस राजनीतिक परिवर्तन का प्रभाव मध्य देश की भाषा हिन्दी पर भी पड़ा। नवीन राजनितिक परिस्थितियों ने खड़ी बोली को प्रोत्साहन प्रदान किया। जब ब्रजभाषा और अवधी का साहित्यिक रूप जनभाषा से दूर हो गया तब उनका स्थान खड़ी बोली धीरे-धीरे लेने लगी। अंग्रेजी सरकार ने भी इसका प्रयोग आरंभ कर दिया।

मध्यकालीन हिन्दी

मध्यकाल में हिन्दी का स्वरूप स्पष्ट हो गया तथा उसकी प्रमुख बोलियाँ विकसित हो गई। इस काल में भाषा के तीन रूप निखरकर सामने आए- ब्रजभाषा, अवधी व खड़ी बोली। मध्यकालीन हिन्दी ब्रजभाषा और अवधी का अत्यधिक साहित्यिक विकास हुआ तथा तत्कालीन ब्रजभाषा साहित्य को कुछ देशी राज्यों का संरक्षण भी प्राप्त हुआ। इनके अतिरिक्त … Read more

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