बोली विभाषा एवं भाषा
विभिन्न बोलियां राजनीतिक-सांस्कृतिक आधार पर अपना क्षेत्र बढ़ा सकती है और साहित्य रचना के आधार पर वे अपना स्थान ‘बोली’ से उच्च करते हुए ‘विभाषा’ तक पहुँच सकती है।
बोली विभाषा एवं भाषा
- विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा अधिक विस्तृत होती है। यह एक प्रांत या उपप्रांत में प्रचलित होती है। इसमें साहित्यिक रचनाएँ भी प्राप्त होती हैं। जैसे- हिन्दी की विभाषाएँ हैं- ब्रजभाषा, अवधी, खड़ी बोली, भोजपुरी व मैथली।
- विभाषा स्तर पर प्रचलित होने पर ही राजनीतिक, साहित्यिक या सांस्कृतिक गौरव के कारण भाषा का स्थान प्राप्त कर लेती है, जैसे- खड़ी बोली मेरठ, बिजनौर आदि की विभाषा होते हुए भी राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत होने के कारण राष्ट्रभाषा के पद पर अधिष्ठित हुई है।
- इस प्रकार, दो बातें स्पष्ट होती है-
(i)बोली का विकास विभाषा में और विभाषा का विकास भाषा में होता है।
बोली-विभाषा-भाषा - (ii) उदाहरण
भाषा- खड़ी बोली हिन्दी
विभाषा- हिन्दी क्षेत्र की प्रमुख बोलियाँ- ब्रजभाषा, अवधी, खड़ी बोली, भोजपुरी व मैथली
बोली- हिन्दी क्षेत्र की शेष बोलियाँ