भाषा की संरचना एवं भाषिक आधार - inshot 20230518 1655201292218953129757730483 - हिन्दी साहित्य नोट्स संग्रह

भाषा की संरचना एवं भाषिक आधार

भाषा की संरचना एवं भाषिक आधार के इस पोस्ट के अध्ययन के पश्चात् सक्षम होंगे-

  • भाषा की संरचना से परिचित होंगे।
  • भाषा के आधार से अवगत होंगे। .
भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा
भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा

भाषा की संरचना

भाषा यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की संरचनात्मक व्यवस्था है। भाषा-संरचना का मूलाधार संरचनात्मक पद्धति है। जिस प्रकार भवन-रचना में ईंट सीमेंट लोहा. शक्ति अर्थात मजदूर और कारीगर की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार भाषा-संरचना में ध्वनि, शब्द, पद, वाक्य, प्रोक्ति और अर्थ की अपनी-अपनी भूमिका होती है।

ध्वनि-संरचना

सामान्यतः किन्हीं दो या दो से अधिक वस्तुओं के आपस में टकराने से वायु में कंपन होता है। जब यह कंपन कानों तक पहुँचता है, तो इसे ध्वनि कहते हैं। भाषाविज्ञान में मानव के मुखागों से निकली ध्वनियों का अध्ययन किया जाता है। ध्वनि भाषा की लघुतम, स्वतंत्र और महत्त्वपूर्ण इकाई है।

स्वरः-

भाषा में कुछ ऐसी ध्वनियाँ होती हैं जिनके उच्चारण में किसी अन्य ध्वनि का सहयोग नहीं लेना पड़ता है। इन ध्वनियों के उच्चारण में किसी प्रकार का अवरोध नहीं होता अर्थात् इनके उच्चारण में फेफड़े से आने वाली वायु अबाध गति से बाहर आती है और इनका उच्चारण जितनी देर चाहें कर सकते हैं। विभिन्न भाषाओं में स्वर ध्वनियों की संख्या भिन्न-भिन्न होती है। यथा-वर्तमान समय हिंदी की स्वर ध्वनियाँ हैं- अ, आ, इ,ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

व्यंजन:-

जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वर ध्वनियों का सहयोग अनिवार्य हो और जिनके उच्चारण में फेफड़े से आने वाली वायु मुख के किसी भाग में अल्पाधिक रूप से अवरुद्ध होने के कारण घर्षण के साथ बाहर आए, उन्हें व्यंजन ध्वनि कहते हैं।

हिंदी में कुछ व्यंजन ध्वनियों का प्रयोग स्वर के रूप में होता है। इन्हें अर्धस्वर कहते हैं; यथा-य् ।

संधिः

कभी-कभी दो भाषिक ध्वनि इकाइयाँ मिलकर एक हो जाती हैं, ऐसे ध्वनि-परिवर्तन को संधि कहते हैं।

उपसर्गः

उपसर्ग वह भाषिक इकाई है, जो शब्द के पूर्व में प्रयुक्त होती है, किंतु इसका स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता। ऐसी इकाई शब्द-संरचना का मुख्य आधार है। इसे मुख्यतः दो भागों में विभक्त कर सकते हैं।

प्रथम-अपनी भाषा के उपसर्गः यथा-हिंदी में अ. कु. स. सु आदि। धर्म > अधर्म, > जीव > सजीव, सु गंध > सुगंध

द्वितीय-दूसरी भाषा के उपसर्ग; यथा- बे बेकाम (फा. + हि) + बेसिर (फा + हि.)

प्रत्ययः

प्रत्यय वह भाषिक इकाई है, जो स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त न होकर शब्द के अंत में प्रयुक्त होती है। प्रत्यय को भी मुख्यतः दो वर्गों में विभक्त कर सकते हैं।

प्रथम-निज भाषा के प्रत्यय ,

कार- साहित्यकार, नाटककार, स्वर्णकार

आनी – जेठानी, सेठानी, देवरानी

समास-

समास में दो शब्द जुड़कर एक सामासिक शब्द का रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे रूप को समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं:

यथा- माता और पिता > माता-पिता , घोड़ों की दौड़ > घुड़दौड़

वाक्य संरचना

भाषा की स्वतंत्र, पूर्ण सार्थक, सहज इकाई को वाक्य कहते हैं। वाक्य में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कम से कम एक आना क्रिया का होना अनिवार्य है। बान्य संरचना में मुख्यतः उद्देश्य तथा विधेय दो भाग होते हैं;

यथा- ‘मोहन जा रहा है” में “मोहन” उद्देश्य और “जा रहा है।’ विधेय है। वाक्य में उद्देश्य छिपा भी सकता है: यथा- जाओ (तुम) जाओ। > (आप) खाइए।

वाक्य को स्पष्ट संरचना का भावाभिव्यक्ति में विशेष महत्व होता है। यथा- रोको मत, जाने दो। – रोको, मत जाने दो।

यहाँ प्रथम वाक्य-संरचना में ‘जाने देने’ की भावाभिव्यक्ति हैं, तो दूसरी वाक्य-संरचना में रोकने की। वाक्य को संरचनात्मक आधार पर सरल, संयुक्त और मित्र वर्गों में विभक्त कर सकते हैं।

प्रोक्ति संरचना

भाषा को महत्तम इकाई प्रोक्ति है।

ध्वनि यदि भाषा की लघुत्तम इकाई है, तो प्रोक्ति महत्तम और पूर्ण अभिव्यक्ति करने वाली इकाई है।

यथा-

(क) गौरव अच्छा लड़का है।

(ख) गौरव एम.ए. का छात्र है।

(ग) गौरव नियमित परिश्रम करता है।

(घ) गौरव को परीक्षा में प्रथम स्थान मिला।

यहाँ गौरव के विषय में चार वाक्य दिए गए हैं। आपसी संबंधों के अभाव में यहाँ पूर्ण स्पष्ट और सहज अभिव्यक्ति नहीं है। प्रोक्ति का रूप आते ही भावाभिव्यक्ति पूर्ण स्पष्ट हो जाती है-

“गौरव अच्छा लड़का है। नियमित परिश्रम करने के कारण उसे एम.ए. की परीक्षा में प्रथम स्थान मिला।’

यह एक लघु प्रोक्ति है।

भाषाई-आधार

भाषा के तीन आधार यहाँ दिए जा रहे हैं।

  • पहला मानसिक आधार (Intellectual basis),
  • दूसरा भौतिक आधार (physical basis),
  • सामाजिक आधार (Social basis)|

मानसिक आधार (Intellectual Basis)

  • भाषा की आत्मा है तो भौतिक आधार उसका शरीर।
  • मानसिक आधार भाषा के आत्मा से आशय है .वे विचार या भाव जिनकी अभिव्यक्ति के लिए वक्ता भाषा का प्रयोग करता है और भाषा के भौतिक आधार के सहारे श्रोता जिनको ग्रहण करता है।

भौतिक आधार (Physical Rasis)

  • मानसिक पक्ष सूक्ष्म है, अत: उसे किसी स्थूल का सहारा लेना पड़ता है।
  • सुन्दर के भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए वक्ता इन ध्वनि-समूहों का सहारा लेता है, और इन्हें सुनकर श्रोता ‘सुन्दर’ अर्थ ग्रहण करता है, अतएव वे ध्वनियाँ उस अर्थ की वाहिका, शरीर या भौतिक आधार है।

स् + उ + न् +द् +अ + र = सुन्दर

सामाजिक आधार (Social Basis)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए उसे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए, एक-दूसरे को अपनी आवश्यकताएँ बताने के लिए और उन को पूरा करने के लिए; वह जिस माध्यम का प्रयोग करते हैं वह भाषा ही है।

भाषा-शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए विद्यार्थियों को सामाजिक आधार प्रदान करना अत्यन्त आवश्यक है।

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