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भारतेन्दु हरिश्चंद्र का काव्य
इस पोस्ट का अध्ययन करने के बाद आप :
भारतेंदु हरिश्चंद्र के काव्य से परिचित हो सकेंगे,
उनके काव्य की विभिन्न विशेषताओं को जान सकेंगे,
उनके काव्य में राष्ट्रीय जागरण की किस प्रकार अभिव्यक्ति हुई है, इसे रेखांकित कर सकेंगे।
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रीतिकालीन शिल्पगत विशेषताएँ
रीतिकालीन शिल्पगत विशेषताएँ :
(1) सतसई परम्परा का पुनरुद्धार(2) काव्य भाषा-वज्रभाषा(3) मुक्तक का प्रयोग(4) दोहा छंद की प्रधानता(5) दोहे के अलावा 'सवैया' (श्रृंगार रस के अनुकूल छंद) और 'कवित्त' (वीर रस के अनुकूल छंद) रीति कवियों के प्रिय!-->!-->!-->…
रीतिकालीन रचना एवं रचनाकार
रीतिकालीन रचना एवं रचनाकार
चिंतामणि -कविकुल कल्पतरु, रस विलास, काव्य विवेक, श्रृंगार मंजरी, छंद विचार
मतिराम -रसराज, ललित ललाम, अलंकार पंचाशिका, वृत्तकौमुदी
राजा जसवंत सिंह -भाषा भूषण
भिखारी दास -काव्य निर्णय, श्रृंगार निर्णय
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रीतिकालीन प्रसिद्ध पंक्तियाँ
रीतिकालीन प्रसिद्ध पंक्तियाँ
रीतिकालीन कवियों की प्रसिद्ध पंक्तियाँ
बिहारी की पंक्तियाँ
इत आवति चलि, जाति उत चली छ सातक हाथ।चढ़ि हिंडोरे सी रहै लागे उसासनु हाथ।।(विरही नायिका इतनी अशक्त हो गयी है कि सांस लेने मात्र से छः सात!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प
भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प की विशेषताएँ जान सकेंगे. हिंदी खड़ी बोली किस प्रकार भारतेंदु युग में काव्य भाषा पर दबाब डाल रही थी, इसे भी आपपहचान सकेंगे,
भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प
भारतेंदु हरिश्वंद्र ने!-->!-->!-->!-->!-->…
कृष्णाश्रयी शाखा/कृष्ण भक्ति काव्य
जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे 'कृष्णाश्रयी शाखा' के कवि कहलाए।
कृष्णाश्रयी शाखा/कृष्ण भक्ति काव्य:-
कृष्ण भक्ति काव्य के प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं
मध्य युग में कृष्ण भक्ति का!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद
उत्पति की दृष्टि से शब्द-भेद
(i) तत्सम शब्द
(ii ) तद्भव शब्द
(iii ) देशज शब्द
(iv) विदेशी शब्द।
(i) तत्सम शब्द – हिंदी भाषा में बहुत सारे ऐसे शब्द है, जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उनका अर्थ और प्रयोग!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद
प्रयोग की दृष्टि से शब्द भेद
विकारी शब्द – विकार शब्द का अर्थ होता है परिवर्तन या बदलाव। जब किसी शब्द के रूप में लिंग, वचन, और कार्य के आधार पर किसी प्रकार का परिवर्तन आ जाता है तो उन शब्दों को विकारी शब्द कहते हैं।
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अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद
अर्थ की दृष्टि से शब्द भेद
(i) साथर्क शब्द – ऐसे शब्द जिनके प्रयोग से किसी बात का अर्थ स्पष्ट हो वह सार्थक शब्द कहलाते हैं।
जैसे – पलंग, संदूक, बोतल, किताब, ठंडा, ब्लैकबोर्ड, कुर्सी, मोबाइल, कंघी, मोमबत्ती, चाय,!-->!-->!-->!-->!-->…