हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं :भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता

कबीरदास जी का साहित्यिक परिचय

कबीरदास का जन्म कैसे हुआ ? कबीर की उत्पत्ति के संबंध में अनेक प्रकार के प्रवाद प्रचलित हैं। कहते हैं, काशी में स्वामी रामानंद का एक भक्त ब्राह्मण था, जिसकी किसी विधवा कन्या को स्वामीजी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद भूल से दे दिया। फल यह

तुलसीदास – कवितावली (उत्तरकाण्ड से ) कक्षा 12 हिंदी काव्य खंड

तुलसीदास - कवितावली (उत्तरकाण्ड से ) कक्षा 12 हिंदी काव्य खंड कवि परिचय जीवन परिचय- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म बाँदा जिले के राजापुर गाँव में सन 1532 में हुआ था। कुछ लोग इनका जन्म-स्थान सोरों मानते हैं। इनका बचपन कष्ट में बीता।

काव्य लक्षण की विशेषताएँ

प्रस्तुत पोस्ट को पढ़ने के बाद आप : बता सकेंगे कि काव्य की परिभाषा कैसी होनी चाहिए; संस्कृत आचार्यों के काव्य लक्षण संबंधी मतों का उल्लेख कर सकेंगे; हिंदी रचनाकारों और आलोचकों द्वारा दी गई काव्य की परिमाषाओं के विषय में बता

शब्द शक्ति से तात्पर्य

भारतीय काव्यशास्त्र में शब्द-शक्तियों के विवेचन की एक सुदीर्घ और सुचिंतित परंपरा रही है। आचार्यों ने शब्द और अर्थ-चिंतन की परंपरा में दार्शनिकों के चिंतन के साथ-साथ व्याकरण के आचार्य चिंतन को प्रसंगानुसार ग्रहण किया है। hindi vyakaran

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि द्विवेदी युग का समय - 1900 से 1920 तकनग्रेन्द्र के अनुसार - 1900- 1918 तकभारतीय जनमानस में स्वदेश प्रेम एवं नवजागरण के जे बीज भारतेन्दु युग में अंकुरित हुए थे वे द्विवेदी युग में पूर्ण पल्लवित होकर सामने आए।इस

प्रतीक का अर्थ

यहाँ पर प्रतीक का अर्थ बताया गया हैं जो आपके विविध परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं. प्रतीक का अर्थप्रतीक के सम्बन्ध में साहित्यकारों के कथनप्रतीक के प्रकार प्रतीक का अर्थ प्रतीक का शाब्दिक अर्थ है,

आदिकालीन साहित्य

हिन्दी साहित्य के आरंभिक काल को आदिकाल कहा जाता है। हिन्दी साहित्य के आरंभिक समय की रचनाएँ साहित्य के विकास के अध्ययन के लिए अत्यंत आवश्यक है। परंतु अधिकांश आदिकालीन ग्रंथों का उपलब्ध न होना, प्रमाणिकता में संदिग्धता, कालनिर्धारण में

लौकिक साहित्य की सामान्य विशेषताएँ

आदिकालीन साहित्य में रासो साहित्य तथा धार्मिक साहित्य के साथ-साथ साहित्य की एक अन्य धारा भी प्रवाहित होती दिखाई देती है, जिसे लौकिक साहित्य के नाम से जाना जाता है। लौकिक साहित्य की सामान्य विशेषताएँ :- लौकिक साहित्य की सामान्य

निर्गुण काव्य धारा या सूफी काव्य ( प्रेममार्गी शाखा)

सूफी काव्य : भक्तिकाल के निर्गुण संत काव्य के अंतर्गत सूफी काव्य को प्रेममार्गी सूफी शाखा'के नाम से संबोधित किया है। अन्य नामों में प्रेमाख्यान काव्य, प्रेम काव्य, आदि प्रमुख है। इस काव्य परम्परा को सूफी संतो की देन माना जाता है। सूफी