हिन्दी साहित्य के आरंभिक काल को आदिकाल कहा जाता है। हिन्दी साहित्य के आरंभिक समय की रचनाएँ साहित्य के विकास के अध्ययन के लिए अत्यंत आवश्यक है। परंतु अधिकांश आदिकालीन ग्रंथों का उपलब्ध न होना, प्रमाणिकता में संदिग्धता, कालनिर्धारण में सामंजस्य न बैठना आदि कठिनाईयों के साथ साहित्य के विद्वानों, आचार्यों द्वारा व्यवस्थित धारणा बना लेना बहुत ही कुशलता का कार्य है।
आदिकालीन काव्य में तीन प्रकार की साहित्य रचना प्रमुख रूप में हुई हैं-
- धार्मिक साहित्य,
- लौकिक साहित्य और
- रासो साहित्य
धार्मिक साहित्य
१) सिद्ध साहित्य,
२) नाथ साहित्य
३) जैन साहित्य