छायावाद चतुष्टय के प्रमुख दर्शन
- छायावादी प्रवृत्तियाँ जिस युग के काव्य में पाई गईं उस साहित्यिक युग को छायावादी युग के नाम से जाना गया। इन प्रवृत्तियों में लिखने वाले लेखकों को छायावादी कवि कहा गया।
- छायावाद विशेष रूप से हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. १९१८ से १९३६ तक की प्रमुख युगवाणी रही।
- छायावाद-चतुष्टय — प्रसाद, निराला, पंत और महादेवी के बाद हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवियों में महाकवि गुलाब खंडेलवाल की भी गणना होती है।
- छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है। .
छायावाद चतुष्टय के प्रमुख दर्शन
छायावाद चतुष्टय के प्रमुख दर्शन इस प्रकार है
- जयशंकर प्रसाद – शैव दर्शन (आनंद वाद)
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला – अद्वैत वेदान्त
- महादेवी वर्मा – बौद्घ दर्शन (दुख वाद)
- सुमित्रानंदन पंत – अरविन्द दर्शन