टैग: रस संप्रदाय

  • रस के भेद

    रस के भेद

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  • रस की परिभाषा

    रस की परिभाषा

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  • रस के चार अंग

    रस के चार अंग

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  • हास्य रस

    हास्य रस

    हास्य रस

  • श्रृंगार रस

    श्रृंगार रस

    श्रृंगार रस एक उदाहरण है- राम को रूप निहारति जानकी कंगन के नग की परछाही।याते सबे सुधि भूलि गइ ,करटेकि रही पल टारत नाही।। तुलसीदास कृत रामचरित मानस के -बालकांड-17 शृंगार रस के भेद श्रृंगार रस मुख्यत: संयोग तथा विप्रलंभ या वियोग के नाम से दो भागों में विभाजित किया जाता है, किंतु धनंजय आदि…

  • रौद्र रस

    रौद्र रस

    रौद्र रस आलंबन – क्रोधोत्तेजक अनुचित कर्म तथा अनुचित अन्यायपूर्ण कर्म करने वाले व्यक्ति। स्थायी भाव – असत्य , अन्याय , दुष्टाचार , अनुचित , अपमान , अत्याचार , शत्रुता , अनिष्टकर सामाजिक कुरीतियां आदि । उद्दीपन – चेष्टाओं का अनिष्टकारी होना , दुष्ट व्यक्तियों के कटु वचन , अपमान करना , अनाचार , दुराचार…

  • करुण रस

    करुण रस

    करुण रस विभाव :- प्रिय जन का वियोग ,बंधु ,विवश ,पराधव ,दरिद्रता ,प्रिय व्यक्ति की वस्तुएं ,इस्ट जन – विप्रयोग ,वध ,बंधन ,संकट पूर्ण परिस्थितियां। संचारी भाव गिलानी ,मरण ,निर्वेद ,स्नेह ,स्मृति ,घृणा ,उत्कर्ष ,उत्सुकता ,चिंता ,उन्माद ,चिंता ,आशा – निराशा ,मोह ,आवेग आदि। अनुभाव – छटपटाना ,छाती पीटना , दुखी की सहायता करना ,मूर्छा…

  • वीर रस

    वीर रस

    वीर रस वीर रस के चार भेद आलम्बन शत्रु , धार्मिक ग्रंथ , पर्व , तीर्थ स्थान , दयनीय व्यक्ति , स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रस्तुत व्यक्ति , अन्याय , अत्याचार का सामना करने वाला व्यक्ति , साहस , उत्साह। उद्दीपन शत्रु का पराक्रम. अन्नदाताओं का दान. धार्मिक कार्य. दुखियों की सुरक्षा आदि संचारी…

  • अद्भुत रस

    अद्भुत रस

    अद्भुत रस आलंबन विस्मयकारी घटनाएं , वस्तुओं , व्यक्तियों तथा उनके कार्य व्यापार। उद्दीपन उनके अन्यान्य अद्भुत व्यापार या घटनाएं , अद्भुत परिस्थितियां। अनुभाव आंखें बड़ी हो जाना , एक टक देखना , ताली बजाना , स्तंभित होना , चकित रह जाना , प्रसन्न होना , रोंगटे खड़े होना , आंसू निकलना , कंपन , स्वेद…

  • वीभत्स रस

    वीभत्स रस

    वीभत्स रस आलंबन – दुर्गंध में मांस  , रक्त  , चर्बी आदि। उद्दीपन – मांस आदि में कीड़े पड़ना , उन से दुर्गंध उठना आदि। अनुभाव –  थूकना , मुंह फेरना  , आंखें मूंदना आदि। संचारी भाव – आवेग ,  व्याधि , जड़ता , मरण आदि। उदाहरण : सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत। खींचत…

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