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May 2022

राम काव्य धारा

राम काव्य धारा HINDI SAHITYA जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में राम की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे 'रामाश्रयी शाखा' के कवि कहलाए। कुछ उल्लेखनीय राम भक्त कवि हैं- रामानंद, अग्रदास, ईश्वर दास, तुलसी दास, नाभादास,

साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी भाषा

साहित्य अकादमी पुरस्कार सन् १९५५ से प्रत्येक वर्ष भारतीय भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को दिया जाता है, जिसमें एक ताम्रपत्र के साथ नक़द राशि दी जाती है।नक़द राशि इस समय एक लाख रुपए हैं। HINDI SAHITYA साहित्य अकादमी पुरस्कारों की सूची

नयी कविता प्रसिद्ध पंक्तियाँ

नयी कविता प्रसिद्ध पंक्तियाँ HINDI SAHITYA हम तो 'सारा-का सारा' लेंगे जीवन'कम-से-कम' वाली बात न हमसे कहिए। -रघुवीर सहाय मौन भी अभिव्यंजना हैजितना तुम्हारा सच है, उतना ही कहोतुम व्याप नहीं सकतेतुममें जो व्यापा है उसे ही

तारसप्तक के कवि

तारसप्तक के कवि HINDI SAHITYA तार सप्तक' (1943 ई०) अज्ञेय, मुक्तिबोध, गिरिजाकुमार माथुर, प्रभाकर माचवे, भारत भूषण अग्रवाल, नेमिचंद्र जैन, रामविलास शर्मा दूसरा सप्तक (1951 ई०) रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, नरेश मेहता,

टी एस एलियट पाश्चात्य काव्यशास्त्री

टी एस एलियट की काव्य कृतियां: हिन्दी काव्यशास्त्र द वेस्टलैंड आपको वास्तविक ख्याति 'द वेस्टलैंड' (१९२२) द्वारा प्राप्त हुई। मुक्त छंद में लिखे तथा विभिन्न साहित्यिक संदर्भो एवं उद्धरणों से पूर्ण इस काव्य में समाज की तत्कालीन

वामन संस्कृत काव्यशास्त्री

वामन संस्कृत काव्यशास्त्री वामन कश्मीरी राजा जयापीड़ के सभा-पंडित थे। इनका समय 800 ई. के आसपास है। इनका प्रसिद्ध ग्रंथ 'काव्यालंकारसूत्रवृत्ति' है।काव्यशास्त्रीय ग्रंथों में यह पहला सूत्र-बद्ध ग्रंथ है। सूत्रों की वृत्ति भी स्वयं वामन ने

उद्भट संस्कृत काव्यशास्त्री

उद्भट संस्कृत काव्यशास्त्री उद्भट कश्मीर राजा जयापीड़ के सभा-पण्डित थे। इनका समय नवम शती का पूर्वार्द्ध है। यह अलंकार वादी सिद्धांत से संबंध आचार्य हैं। इनकी तीन ग्रंथ प्रसिद्ध हैं- 'काव्यालंकारसारसंग्रह', 'भामह-विवरण' और 'कुमारसम्भव'।

रूद्रट संस्कृत काव्यशास्त्री

रूद्रट संस्कृत काव्यशास्त्री रुद्रट कश्मीर के निवासी थे तथा इनका जीवन-काल नवम शती का आरंभ माना जाता है। sanskrit-aacharya इनके ग्रंथ का नाम 'काव्यालंकार' है, जिसमें १६ अध्याय हैं और कुल ७३४ पद है। यद्यपि रुद्रट अलंकारवादी युग के

आनंदवर्धन संस्कृत काव्यशास्त्री

आनंदवर्धन संस्कृत काव्यशास्त्री आनंदवर्धन कश्मीर के राजा अवन्ति वर्मा के सभापंडित थे। इनका जीवन काल नवम शती का मध्य भाग है। आनंदवर्धन ने काव्यशास्त्र मे 'ध्वनि सम्प्रदाय' की स्थापना की। sanskrit-aacharya इनकी ख्याति 'ध्वन्यालोक'

हिंदी साहित्य के वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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