आधुनिक युग का गद्य साहित्य
भारतेंदु पूर्व युग
खड़ीबोली हिन्दी में गद्य का विकास 19वीं शताब्दी के आसपास हुआ।
कोलकाता के फोर्ट विलियम कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका
कॉलेज के दो विद्वानों लल्लूलाल जी तथा सदल मिश्र ने गिलक्राइस्ट के निर्देशन में क्रमशः प्रेमसागर तथा नासिकेतोपाख्यान नामक पुस्तकें तैयार कीं।
इसी समय सदासुखलाल ने सुखसागर तथा मुंशी इंशा अल्ला खां ने ‘रानी केतकी की कहानी’ की रचना की
सभी ग्रंथों की भाषा में आनेवाली खडी बोली को स्थान मिला।
ये सभी कृतियाँ सन् 1803 में रची गयी थीं।
आधुनिक खडी बोली के गद्य के विकास
आधुनिक खडी बोली के गद्य के विकास में विभिन्न धर्मों की परिचयात्मक पुस्तकों का खूब सहयोग
ईसाई धर्म का भी योगदान
बंगाल के राजा राम मोहन राय ने 1815 ईस्वी में वेदांत सूत्र का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करवाया।
इसके बाद उन्होंने 1829 में बंगदूत नामक पत्र हिन्दी में निकाला।
1826 में कानपुर के पं जुगल किशोर ने हिन्दी का पहला समाचार पत्र उदंतमार्तंड कलकत्ता से निकाला.
गुजराती भाषी आर्य समाज संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपना प्रसिद्ध ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश हिन्दी में लिखा।