क्षेमेंद्र संस्कृत काव्यशास्त्री

क्षेमेन्द्र का जन्म लगभग 1025 और मृत्यु 1066 में हुआ .  संस्कृत के प्रतिभा संपन्न  काश्मीरी  महाकवि थे। ये विद्वान ब्राह्मणकुल में उत्पन्न हुए सिंधु के प्रपौत्र, निम्नाशय के पौत्र और प्रकाशेंद्र के पुत्र थे। इन्होंने प्रसिद्ध आलोचक तथा तंत्रशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान्  अभिनवगुप्त  से साहित्यशास्त्र का अध्ययन किया था।

sanskrit-aacharya
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रचनाएँ

  • उन्होंने प्राचीन महत्वपूर्ण महाकाव्यों के कथानकों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। रामायणमञ्जरीभारतमञ्जरी तथा बृहत्कथामंजरी – ये तीनों ही क्रमश: रामायण, महाभारत तथा बृहत्कथा के अत्यंत रोचक तथा सरस संक्षेप हैं।
  •  बोधिसत्त्वावदानकल्पलता में बुद्ध के पूर्व जन्मों से संबद्ध पारमितासूची आख्यानों का पद्यबद्ध वर्णन है।
  •  दशावतारचरित इनका उदात्त महाकाव्य है जिसमें भगवान विष्णु से दसों अवतारों का बड़ा ही रमणीय तथा प्रांजल, सरस एवं मुंजुल काव्यात्मक वर्णन किया गया है।
  •  औचित्य-विचार-चर्चा में क्षेमेन्द्र ने औचित्य को काव्य का मूलभूत तत्त्व माना है तथा उसकी प्रकृष्ट व्यापकता काव्य प्रत्येक अंग में दिखलाई है।
  • वात्स्यायनसूत्रसार नामक एक कामशास्त्र की भी इन्होने रचना की।

स्रोत : क्षेमेंद्र- विकिपीडिया

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