घनानंद कवित्त पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

“नीर भीज्यौ जीवतऊ गुड़ी लौं उड़्यौ रहै” में अलंकार है:
१. विभावना ✔
२. रूपक
३. व्यतिरेक
४. विरोधाभास।
डॉ ग्रियर्सन ने अपने ग्रंथ के किस अध्याय को रीतिकाल नाम दिया है:
१. 5 वें
२. 7 वें✔
३. 8 वें
४. 6 वें
“भूषण बिनु न बिराजई कविता बनिता मित्त” किसकी पंक्ति है:
१. भूषण
२. केशव✔
३. घनानंद
४. तुलसी
‘रीतिरात्माकाव्यस्त ‘ किनका संबोधन है…
१. कुंतक
२. वामन✔
३. दंडी
४. भामह
” ……लोग है लागि कवित बनावत , मोहि तो मोरे कबित बनावत। ” रिक्त स्थान में किस कवि उल्लेख होगा।
१. घनानंद✔
२. ठाकुर
३. बोधा
४. इनमें कोई नहीं।
रीतिमुक्त कवि के काव्य बारे में असंगत कथन है:
१. लोकरूचि पर आधारित
२. वियोग श्रृंगार की प्रधानता।
३. दरबारी रूचियों पर आधारित✔
४. दार्शनिक विचारधारा से मुक्त।
घनानंद की रचना नहीं है?
१. पदावली
२. प्रीति पावस
३. इश्कनामा✔
४. यमुनायश
आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये?
१. देव, घनानंद, भिखारी, पद्माकर, केशव
२. केशव, देव ,घनानंद ,भिखारी, पद्माकर✔
३. पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव, केशव
४. केशव, पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव
घनानंद का जन्म काल है?
१. 1559-1663
२. 1623-1715
३. 1560-1617
४. 1689-1739✔
“अति सुधो प्रेम को मारग है ” कथन किस कवि का है?
१. घनानंद✔
२. केशव
३. आलम
४. बिहारी
घनानंद ने प्रमुखतः किसको माध्यम बनाकर रूप सौंदर्य का प्रस्तुतीकरण किया है:
१. राधा।
२. श्री कृष्ण।
३. सुजान✔
४. उपरोक्त सभी।
घनानंद की रचना में दिखाई पड़ती है।
१. विरह वर्णन
२. प्रकृति चित्रण
३. उपालंभ की भावना
४. उपरोक्त सभी। ✔
असत्य कथन को चुने ?
१. रीतिमुक्त कवि- घनानंद
२. रीतिसिद्ध कवि- आलम✔
३. रीतिबद्ध कवि -केशव
४. रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि- बिहारी
“हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ?
१. विरहियों हेतु मीन का दृष्टांत दिया गया है।
२. मत्तयन्द सवैया छंद का एक पद है।
३. “मीन ” शब्द स्त्रीलिंग है। ✔
४. सभी उचित है ।
“तब हार पहार से लागत है अब आनी के बीच पहार परे” में कौन सा अलंकार है?
१. रूपक
२. उपमा
३. यमक✔
४. उत्प्रेक्षा
“घनानंद को साक्षात रस मूर्ति किसने कहा है?
१. रामचन्द्र शुक्ल✔
२. आचार्य विश्वनाथ
३. गणपति चंद्र गुप्त
४. दिनकर
घनानन्द का प्रिय प्रतीक है?
१. चंद्रमा
२. भ्रमर
३. चातक✔
४. कमल
घनानन्द किस संप्रदाय में दीक्षित थे?
१. राधावल्लभ
२. निम्बार्क✔
३. शैव
४. वैष्णव
नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित कवित्त सवैया है ।
१. 1057
२. 2354
३. 752✔
४. इनमें से कोई नहीं
लाजनि लपेटी चितवनि भेद भाय भरी
लसति ललित लोल चख तिरछानि मैं? में कौन सा छंद है?
१. सवैया
२. छप्पय
३. घनाक्षरी✔
४. अनंगशेखर
” लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै।
अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में अलंकार है:
१. उत्प्रेक्षा
२. रूपक
३. व्यतिरेक
४. विरोधाभास।
” प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है:
१. भूषण
२. ब्रजनाथ
३. घनानंद
४. तुलसी
‘सौन्दर्यंलंकार: ‘ किनकी पंक्ति है…
१. कुंतक
२. वामन
३. दंडी
४. भामह
” भए अति निठुर पहचानि डारी,
याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है। “
१. घनानंद
२. ठाकुर
३. बोधा
४. इनमें कोई नहीं।
रीतिमुक्त कवियों के काव्य बारे में असंगत कथन है:
१. एकनिष्ठ प्रेम प्रदर्शन
२. वियोग श्रृंगार की प्रधानता
३.लक्षण ग्रंथों पर आधारित रचना
४. स्वच्छंद व मुक्त रचना ।
6.घनानंद मुख्य रूप से किसके कवि हैं—
१. संयोग श्रृंगार
२.विप्रलंभ श्रृंगार
३. भक्ति रस
४. करूण रस
7. आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये?
१. देव, घनानंद, भिखारी, पद्माकर, केशव
२. केशव, देव ,घनानंद ,भिखारी, पद्माकर
३. पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव, केशव
४. केशव, पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव
8. घनानंद का समय है?
१. 1559-1663
२. 1623-1715
३. 1560-1617
४. 1689-1739
9. “हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ?
१. विरहियों हेतु मीन का दृष्टांत दिया गया है।
२. मत्तयन्द सवैया छंद का एक पद है।
३. “मीन ” शब्द पुल्लिंगहै।
४. घनानंद नादिर शाह के मीर मुंशी थे।
10. ” काहू कल्पाय है सु कैसे कल पाय है।” में कौन सा अलंकार है?
१. रूपक
२. उपमा
३. यमक
४. उत्प्रेक्षा
11. अ. “घनानंद साक्षात रस मूर्ति हैं।”
ब. “उनका हर छंद एक निःश्वास है।”
उक्त पंक्तियाँ क्रमशः हैं—
१. रामचन्द्र शुक्ल ,विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
२. आचार्य विश्वनाथ, शुक्ल
३. गणपति चंद्र गुप्त, शुक्ल
४. रामचंद्र शुक्ल, दिनकर
12. घनानन्द ने नायिका के मुस्कुराहट की तुलना की है?
१. चंद्रमा से
२. भ्रमर से
३. बिजली से
४. मोतियों की माला से
13. नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित पदों की संख्या है —
१. 1057
२. 2354
३. 752
४. इनमें से कोई नहीं
14.*अंतर उदेग दाह आंखिन प्रवाह आँसू,—–चाहा भीजनि दहनी है*
स्थान की पूर्ति कीजिए—-
1. अरसायहौं
2. सांझ
3. जिवतु
4 .अटपटी
15.*प्रीतम सुजान मेरे हित के निधान कहौ,
कैसे रहैं प्रान जौ अनखि अरसायहौं।*
पंक्ति में अनखि का अर्थ है–
1 रूठकर
2 रोकर
3रिझाकर
4 राति
16.सुमुखी सवैया के प्रत्येक चरण में होते हैं–
1 .8 सगण
2. 8 भगण
3. 8 मगण
4. इनमें से कोई नहीं।
17.घनानंद किस संप्रदाय में दीक्षित हुए थे??
1. वल्लभ सम्प्रदाय
2. निम्बार्क सम्प्रदाय
3.हितहरिवंश
4. द्वैतवाद
18.*भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी*
घनानंद के बारे में यह कथन किसका है?
1. हजारी प्रसाद द्विवेदी
2.रामचंद्र शुक्ला
3.रामधारी सिंह दिनकर
4. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
19.घनानंद के संदर्भ में यह दो सवैया किसने लिखा है —
” जग की कविताई के धोखे रहै ह्यां प्रबीनन की मति जाति की।”
1 शुक्ल
2 दिनकर
3ब्रजनाथ
4विश्वनाथ मिश्र
20.कौन सी कृति घनानंद की नहीं है— 1. सुजान सार
2. बिरहलीला
3. कोकसार
4. सुजान सागर
21.*रीतिकाल की बौद्धिक बिरह अनुभूति, निष्प्रणता और कुंठा के वातावरण में धनानंद की पीड़ा की टीस सहसा ही हृदय को चीर देती है और मन सहज ही मान लेता है* यह कथन किसका है
1 शुक्ल
2 द्विवेदी
3दिनकर
4 विश्वनाथ मिश्र
22. “इनकी – सी विशुद्ध, सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ।”
वक्तव्य है—-
1) नगेन्द्र
2 )हजारीप्रसाद
3) प्रसाद
4) शुक्ल
23. कौन सी रचना घनानंद की है —
1. काव्य निर्णय
2. इश्क लता
3.भाव पंचशिका
4. इश्कनामा
24. “ब्रजभाषा भाषा रूचिर, कहैं सुमति सब कोई।
मिल संस्कृत पारस्यौ , पै अति प्रगट जू होई।।”
यह पंक्ति किस कवि की है..
1.देव
2.बिहारी
3. घनानंद
4.भिखारीदास
25. पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं
यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है
1 कृष्ण
2 ब्रह्मा
3सरस्वती
4 इनमें से कोई नहीं”
लट लोल कपोल कलोल करै, कल कंठ बनी जलजावलि द्वै।
अंग अंग तरंग उठै दुति की , पहिरे नौ रूप अवै धर च्वै ” में अलंकार है:
१. उत्प्रेक्षा
२. रूपक
३. व्यतिरेक
४. विरोधाभास।
” प्रेम सदा अति ऊंची लहै सु कहै इहि भांति की बात छकी” किसकी पंक्ति है:
१. भूषण
२. ब्रजनाथ
३. घनानंद
४. तुलसी
‘सौन्दर्यंलंकार: ‘ किनकी पंक्ति है…
१. कुंतक
२. वामन
३. दंडी
४. भामह
4.” भए अति निठुर पहचानि डारी,
याही दुख हमै जक लागी हाय हाय है। “
१. घनानंद
२. ठाकुर
३. बोधा
४. इनमें कोई नहीं।
रीतिमुक्त कवियों के काव्य बारे में असंगत कथन है:
१. एकनिष्ठ प्रेम प्रदर्शन
२. वियोग श्रृंगार की प्रधानता
३.लक्षण ग्रंथों पर आधारित रचना
४. स्वच्छंद व मुक्त रचना ।
6.घनानंद मुख्य रूप से किसके कवि हैं—
१. संयोग श्रृंगार
२.विप्रलंभ श्रृंगार
३. भक्ति रस
४. करूण रस
आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिये?
१. देव, घनानंद, भिखारी, पद्माकर, केशव
२. केशव, देव ,घनानंद ,भिखारी, पद्माकर
३. पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव, केशव
४. केशव, पद्माकर, भिखारी, घनानंद ,देव
घनानंद का समय है?
१. 1559-1663
२. 1623-1715
३. 1560-1617
४. 1689-1739
“हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानी समानै ” में अनुचित है ?
१. विरहियों हेतु मीन का दृष्टांत दिया गया है।
२. मत्तयन्द सवैया छंद का एक पद है।
३. “मीन ” शब्द पुल्लिंगहै।
४. घनानंद नादिर शाह के मीर मुंशी थे।
” काहू कल्पाय है सु कैसे कल पाय है।” में कौन सा अलंकार है?
१. रूपक
२. उपमा
३. यमक
४. उत्प्रेक्षा
अ. “घनानंद साक्षात रस मूर्ति हैं।”
ब. “उनका हर छंद एक निःश्वास है।”
उक्त पंक्तियाँ क्रमशः हैं—
१. रामचन्द्र शुक्ल ,विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
२. आचार्य विश्वनाथ, शुक्ल
३. गणपति चंद्र गुप्त, शुक्ल
४. रामचंद्र शुक्ल, दिनकर
घनानन्द ने नायिका के मुस्कुराहट की तुलना की है?
१. चंद्रमा से
२. भ्रमर से
३. बिजली से
४. मोतियों की माला से
नगेन्द्र के अनुसार घनानन्द द्वारा रचित पदों की संख्या है —
१. 1057
२. 2354
३. 752
४. इनमें से कोई नहीं
14.अंतर उदेग दाह आंखिन प्रवाह आँसू,—–चाहा भीजनि दहनी है
स्थान की पूर्ति कीजिए—-
अरसायहौं
सांझ
जिवतु
4 .अटपटी 15.प्रीतम सुजान मेरे हित के निधान कहौ, कैसे रहैं प्रान जौ अनखि अरसायहौं।
पंक्ति में अनखि का अर्थ है–
1 रूठकर
2 रोकर
3रिझाकर
4 राति
16.सुमुखी सवैया के प्रत्येक चरण में होते हैं–
1 .8 सगण
8 भगण
8 मगण
इनमें से कोई नहीं।
17.घनानंद किस संप्रदाय में दीक्षित हुए थे??
वल्लभ सम्प्रदाय
निम्बार्क सम्प्रदाय
3.हितहरिवंश
द्वैतवाद
18.भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी
घनानंद के बारे में यह कथन किसका है?
हजारी प्रसाद द्विवेदी
2.रामचंद्र शुक्ला
3.रामधारी सिंह दिनकर
विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 19.घनानंद के संदर्भ में यह दो सवैया किसने लिखा है —
” जग की कविताई के धोखे रहै ह्यां प्रबीनन की मति जाति की।”
1 शुक्ल
2 दिनकर
3ब्रजनाथ
4विश्वनाथ मिश्र
20.कौन सी कृति घनानंद की नहीं है— 1. सुजान सार
बिरहलीला
कोकसार
सुजान सागर
21.रीतिकाल की बौद्धिक बिरह अनुभूति, निष्प्रणता और कुंठा के वातावरण में धनानंद की पीड़ा की टीस सहसा ही हृदय को चीर देती है और मन सहज ही मान लेता है यह कथन किसका है
1 शुक्ल
2 द्विवेदी
3दिनकर
4 विश्वनाथ मिश्र
“इनकी – सी विशुद्ध, सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ।”
वक्तव्य है—-
1) नगेन्द्र
2 )हजारीप्रसाद
3) प्रसाद
4) शुक्ल
कौन सी रचना घनानंद की है —
काव्य निर्णय
इश्क लता
3.भाव पंचशिका
इश्कनामा
“ब्रजभाषा भाषा रूचिर, कहैं सुमति सब कोई।
मिल संस्कृत पारस्यौ , पै अति प्रगट जू होई।।”
यह पंक्ति किस कवि की है..
1.देव
2.बिहारी
घनानंद
4.भिखारीदास
पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं
यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है
1 कृष्ण
2 ब्रह्मा
3सरस्वती
4 इनमें से कोई नहीं
1 *मोही मोह जनाय के अहे अमोहि जोहि*।
*सो ही मोही सा कठिन क्यों करे सोही तोही*।। यह पंक्ति है ?
1कवित्त
2सवैया
3दोहा ✔
4 इनमें से कोई नहीं
2 *अंतर उदेग दाह ——-प्रवाह आँसू अटपटी चाहा भीजनि दहनी है*
विकी स्थान की पूर्ति कीजिए
पहला जागिबो
दूसरा प्राननि
तीसरा जीवन
4 आंखिन✔
3 *कंत रमें —–अंतर में सुलहै नहीं क्यों सुखरसि निरंतर।*
1 उर✔
2 दंत
3दिन
4 राति
4 *ज्यों बुधि सो रसुराई रचे कोउ ——– को कविताई सिखावै*
1 सारदा✔
2 महालछमी
3रागबन्धु
4 इनमें से कोई नहीं।
5 घनानंद किस संप्रदाय में शिक्षित हुए थे
1 वल्लभ सम्प्रदाय
2 निम्बार्क सम्प्रदाय✔
3 हितहरिवंश
4 द्वैतवाद
6 *भाषा के लक्षक एवं व्यंजक बल की सीमा कहां तक है इसकी परख इन्हीं को थी*
घनानंद के बारे में यह कथन किसका है
पहला हजारी प्रसाद द्विवेदी
2 रामचंद्र शुक्ला ✔
3रामधारी सिंह दिनकर
4 विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
7 *यह साक्षात रस मूर्ति और ब्रजभाषा काव्य की प्रधान स्तंभों में है* घनानंद के बारे में या कथन किसका है
पहला डॉ रामकुमार वर्मा
दूसरा रामचंद्र शुक्ला ✔
तीसरा रामधारी सिंह दिनकर
चौथा हजारी प्रसाद द्विवेदी
8 घनानंद के संदर्भ में यह दो सवैया किसने लिखा है —
नेहीं महाब्रज भाषा प्रवीन औ सुंदरताहु के भेद को जानें।
जो वियोग की रीति में कोविंद, भावना भेद स्वरूप को जाने।।
1 शुक्ल
2 दिनकर
3ब्रजनाथ✔
4विश्वनाथ मिश्र
9 कौन सी कृति घनानंद की नहीं है
पहला सुजान सार
दूसरा बिरहलीला
तीसरा कोकसार
चौथा इश्क नामा✔
10 *रीतिकाल की बौद्धिक बिरह अनुभूति, निष्प्रणता और कुंठा के वातावरण में धनानंद की पीड़ा की टीस सहसा ही हृदय को चीर देती है और मन सहज ही मान लेता है* यह कथन किसका है
1 शुक्ल
2 द्विवेदी
3दिनकर✔
4 विश्वनाथ मिश्र
11 घनानंद में रहस्यात्मकता प्रवृत्ति पर किन का प्रभाव पड़ा है
पहला नाथसंप्रदाय
दूसरा वैष्णव संप्रदाय
तीसरा ब्रह्मा संप्रदाय
चौथा सूफी भावना✔
12 रामचंद्र शुक्ल जी ने धनानंद की कितनी कविताओं को वर्णन किया है
पहला 41✔
2 )45
3) 35
4) 50
13 कौन सी रचना घनानंद की नहीं है पहला रस केली वल्ली
दूसरा यमुनायश
तीसरा इश्क लता
चौथा भाव पंचशिका ✔
14 उजरनी बसी है हमारी अँखियानी देखों सुबस सुदेस जहाँ भावते बसत हौ।
यह पंक्ति किस कवि की थी..
1देव
2 बिहारी
3 घनानंद✔
4मतिराम
15 पाप की पुंज सकेली सू कौन आनघरी मैं बिरंचि बनाएं
यहाँ बिरंचि का क्या अर्थ है
1 कृष्ण
2 ब्रह्मा✔
3सरस्वती
4 इनमें से कोई नहीं