छायावादोत्तर युग (1936 ई० के बाद)
छायावादोत्तर युग में हिन्दी काव्यधारा बहुमुखी हो जाती है-
(A) पुरानी काव्यधारा
राष्ट्रीय-सांस्कृतिक काव्यधारा
सियाराम शरण गुप्त, माखन लाल चतुर्वेदी, दिनकर, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’, सोहन लाल द्विवेदी, श्याम नारायण पाण्डेय आदि।
उत्तर-छायावादी काव्यधारा-
निराला, पंत, महादेवी, जानकी वल्लभ शास्त्री आदि।
(B) नवीन काव्यधारा
वैयक्तिक गीति कविता धारा
(प्रेम और मस्ती की काव्य धारा)
बच्चन, नरेंद्र शर्मा, रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’, भगवती चरण वर्मा, नेपाली,आरसी प्रसाद सिंह आदि।
प्रगतिवादी काव्यधारा-
केदारनाथ अग्रवाल, राम विलास शर्मा, नागार्जुन, रांगेय राघव, शिवमंगल सिंह ‘सुमन’, त्रिलोचन आदि।
प्रयोगवादी काव्य धारा-
अज्ञेय, गिरिजा कुमार माथुर, मुक्तिबोध, भवानी प्रसाद मिश्र, शमशेर बहादुर सिंह, धर्मवीर भारती आदि।