छायावाद
छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. १९१८ से १९३६ तक की प्रमुख युगवाणी रही।
जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा इस काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है।
मुकुटधर पाण्डेय ने श्री शारदा पत्रिका में एक निबंध प्रकाशित किया जिस निबंध में उन्होंने छायावाद शब्द का प्रथम प्रयोग किया | कृति प्रेम, नारी प्रेम, मानवीकरण, सांस्कृतिक जागरण, कल्पना की प्रधानता आदि छायावादी काव्य की प्रमुख विशेषताएं हैं। छायावाद ने हिंदी में खड़ी बोली कविता को पूर्णतः प्रतिष्ठित कर दिया। इसके बाद ब्रजभाषा हिंदी काव्य धारा से बाहर हो गई। इसने हिंदी को नए शब्द, प्रतीक तथा प्रतिबिंब दिए। इसके प्रभाव से इस दौर की गद्य की भाषा भी समृद्ध हुई। इसे ‘साहित्यिक खड़ीबोली का स्वर्णयुग’ कहा जाता है।
परिवर्तन सुमित्रानंदन पन्त सम्पूर्ण कविता व्याख्या
‘परिवर्तन’ यह कविता 1924 में लिखी गई थी। कविता रोला छंद में रचित है। यह एक लम्बी कविता है। यह कविता ‘पल्लव’ नामक काव्य संग्रह में संकलित है। परिवर्तन कविता को समालोचकों ने एक ‘ग्रैंड महाकाव्य’ कहा है। स्वयं पंत जी ने इसे पल्लव काल की प्रतिनिधि रचना मानते हैं। परिवर्तन को कवि ने जीवन … Read more
ब्रम्हराक्षस कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न
ब्रम्हराक्षस कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 01-ब्रह्मराक्षस अति बौद्धिक व श्रेष्ठ होकर भी क्यों असफल हो गया?1-ज्ञान का अभाव2-अनुभव का अभाव3-व्यावहारिकता का अभाव ✅4-नैतिकता का अभाव प्रश्न02 – निम्न मे से कौन अपने प्रति रुप से युद्ध नहीं कर रहा हैं ?1- शब्द2-सिद्धांत ✅3-ध्वनि4-प्रतीक प्रश्न 03 – ब्रह्मराक्षस किसके द्वारा निर्मित बौद्धिक कैद भुगत रहा … Read more
छायावाद प्रगतिवाद प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न
छायावाद प्रगतिवाद प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न स्कन्दगुप्त, आधे-अधूरे, अंधायुग व आधुनिक हिंदी के प्रमुख वाद-छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1 “अपने कुकर्मों का फल चखने में कड़वा, पर परिणाम में मधुर होता है।” उक्त कथन किसका है–- 1 रामा 2 भटार्क✔ 3 विजया 4 स्कन्दगुप्त प्रश्न 2 देवसेना को निम्न में से क्या … Read more
जयशंकर प्रसाद जी की नाट्य-रचनाएं
जयशंकर प्रसाद जी की नाट्य-रचनाएं सज्जन (1910) : महाभारत के कथानक को लेकर रचा गया नाटक। गंधर्व चित्रसेन दुर्योधन को उसके मित्रों सहित बन्दी बनाता है। युधिष्ठिर के कहने पर अर्जुन चित्रसेन से युद्ध करने जाता है। चित्रसेन मित्र अर्जुन को पहचान लेता है और दुर्योधन को छोड़ देता है। इसमें भारतेन्दु काल की नाट्य-शैली अपनाई … Read more
कामायनी महाकाव्य का परिचय
कामायनी महाकाव्य का परिचय में बता दें कि इसको आधुनिक हिन्दी साहित्य का गौरवग्रन्थ माना गया है। यह रहस्यवाद का प्रथम महाकाव्य है। सृष्टि के रहस्य पर विवाद करने वाली दो मुख्य विचारधाराएँ हैं; एक भारतीय, दूसरी पाश्चात्य। पाश्चात्य विचार धारा जो डारविन के सिद्धान्त पर आधारित है। भारतीय विचार मनस्तत्व प्रधान है। प्रकाशन वर्ष … Read more