जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय

आज के आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य के छायावाद के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से पढेंगे ,आप इसे अच्छे से पढ़ें ।

परिवर्तन सुमित्रानंदन पन्त सम्पूर्ण कविता व्याख्या

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‘परिवर्तन’ यह कविता 1924 में लिखी गई थी। कविता रोला छंद में रचित है। यह एक लम्बी कविता है। यह कविता ‘पल्लव’ नामक काव्य संग्रह में संकलित है। परिवर्तन कविता को समालोचकों ने एक ‘ग्रैंड महाकाव्य’ कहा है। स्वयं पंत जी ने इसे पल्लव काल की प्रतिनिधि रचना मानते हैं। परिवर्तन को कवि ने जीवन … Read more

ब्रम्हराक्षस कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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ब्रम्हराक्षस कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 01-ब्रह्मराक्षस अति बौद्धिक व श्रेष्ठ होकर भी क्यों असफल हो गया?1-ज्ञान का अभाव2-अनुभव का अभाव3-व्यावहारिकता का अभाव ✅4-नैतिकता का अभाव प्रश्न02 – निम्न मे से कौन अपने प्रति रुप से युद्ध नहीं कर रहा हैं ?1- शब्द2-सिद्धांत ✅3-ध्वनि4-प्रतीक प्रश्न 03 – ब्रह्मराक्षस किसके द्वारा निर्मित बौद्धिक कैद भुगत रहा … Read more

छायावाद प्रगतिवाद प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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छायावाद प्रगतिवाद प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न स्कन्दगुप्त, आधे-अधूरे, अंधायुग व आधुनिक हिंदी के प्रमुख वाद-छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1 “अपने कुकर्मों का फल चखने में कड़वा, पर परिणाम में मधुर होता है।” उक्त कथन किसका है–- 1 रामा 2 भटार्क✔ 3 विजया 4 स्कन्दगुप्त प्रश्न 2 देवसेना को निम्न में से क्या … Read more

जयशंकर प्रसाद जी की नाट्य-रचनाएं

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जयशंकर प्रसाद जी की नाट्य-रचनाएं सज्जन (1910) : महाभारत के कथानक को लेकर रचा गया नाटक। गंधर्व चित्रसेन दुर्योधन को उसके मित्रों सहित बन्दी बनाता है। युधिष्ठिर के कहने पर अर्जुन चित्रसेन से युद्ध करने जाता है। चित्रसेन मित्र अर्जुन को पहचान लेता है और दुर्योधन को छोड़ देता है। इसमें भारतेन्दु काल की नाट्य-शैली अपनाई … Read more

छायावाद व प्रगतिवाद में अंतर

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छायावाद व प्रगतिवाद में अंतर (i) छायावाद में कविता करने का उद्देश्य ‘स्वान्तः सुखाय’ है जबकि प्रगतिवाद में ‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’ है। (ii) छायावाद में वैयक्तिक भावना प्रबल है जबकि प्रगतिवाद में सामाजिक भावना। (iii) छायावाद में अतिशय कल्पनाशीलता है जबकि प्रगतिवाद में ठोस यथार्थ।

कामायनी महाकाव्य का परिचय

jaishankar prasad जयशंकर प्रसाद

कामायनी महाकाव्य का परिचय में बता दें कि इसको आधुनिक हिन्दी साहित्य का गौरवग्रन्थ माना गया है। यह रहस्यवाद का प्रथम महाकाव्य है। सृष्टि के रहस्य पर विवाद करने वाली दो मुख्य विचारधाराएँ हैं; एक भारतीय, दूसरी पाश्चात्य। पाश्चात्य विचार धारा जो डारविन के सिद्धान्त पर आधारित है। भारतीय विचार मनस्तत्व प्रधान है। प्रकाशन वर्ष … Read more

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