कृष्ण भक्ति काव्य धारा से अभिप्राय उस काव्यधारा से है जिसमें कवियों ने भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण को आधार बनाकर अपने काव्य ग्रंथों की रचना की।
कृष्ण-काव्य-धारा के मुख्य प्रवर्तक हैं- श्री वल्लभाचार्य। उन्होंने निम्बार्क, मध्व और विष्णुस्वामी के आदर्शों को सामने रखकर श्रीकृष्ण का प्रचार किया।
कृष्णभक्ति शाखा के कवि
सूरदास, नंददास, कृष्णदास, परमानंद, कुंभनदास, चतुर्भुजदास, छीतस्वामी, गोविन्दस्वामी, हितहरिवंश, गदाधर भट्ट, मीराबाई, स्वामी हरिदास, सूरदास-मदनमोहन, श्रीभट्ट, व्यास जी, रसखान, ध्रुवदास, चैतन्य महाप्रभु ।
कृष्ण भक्ति शाखा का प्रथम कवि ‘सूरदास‘ को जाना जाता है। इनके गुरु वल्लभाचार्य से प्रेरित होकर इन्होंने कृष्ण-काव्य की रचना प्रारंभ की।
रचनाएँ
1. सूरसागर 2. सूरसारावली 3. साहित्य लहरी