संत काव्य के प्रमुख कवि : संत काव्य के प्रवर्तक संत कबीर माने जाते हैं। इस विचारधारा के बीज आदिकाल के नाथ कवियों तथा संत नामदेव की रचनाओं में मिलते हैं। भक्ति कालीन निर्गुण संत कवियों में कबीर, दाद, नानक, रैदास, सुन्दरदास, मलूकदास आदि संतो ने इस धारा के प्रचार-प्रसार तथा विकास में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है।
हिंदी के संत कवि
1398-1518 | कबीर | बीजक |
1398-1448 | रैदास | रविदास की वाणी |
1469-1538 | गुरुनानक | जपूजी, असादीवार, रहिदास, सोहिला |
1455-1543 | हरिदास निरंजनी | अष्टपदी, जोगग्रंथ, हंसप्रबोध ग्रंथ |
1554-1603 | दादूदयाल | हरडेवाणी अंगवधू |
1574-1682 | मलूकदास | ज्ञानबोध, रतनखान भक्ति विवेक भक्तवच्छावली, राम अवतार लीला ब्रज लीला, ध्रुवचरित, सुखसागर |
1596-1689 | सुन्दरदास | ज्ञानसमुद्र, सुन्दर विलास |
1540-1648 | लालदास | |
1590-1655 | बाबा लाल | |
1567-1689 | संत रज्जब | सब्बंगी, रज्जब वाणी |
1563-1606 | गुरु अर्जुन देव | सुखमनी, बावन, अक्षरी |
1472-1552 शेख फरीद
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