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हिन्दी व्याकरण
वाक्य विचार
जिस शब्द समूह से वक्ता या लेखक का पूर्ण अभिप्राय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, उसे वाक्य कहते हैं।सरल शब्दों में- वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, 'वाक्य' कहलाता हैै। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै।
वाक्य!-->!-->!-->!-->!-->…
वचन की परिभाषा प्रकार व नियम
शब्द के जिस रूप से एक या एक से अधिक का बोध होता है, उसे हिन्दी व्याकरण में 'वचन' कहते है।दूसरे शब्दों में- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे 'वचन' कहते है।
जैसे-
फ्रिज में सब्जियाँ रखी हैं।तालाब!-->!-->!-->!-->!-->…
निबन्ध लेखन
निबन्ध लिखना भी एक कला हैं। इसे विषय के अनुसार छोटा या बड़ा लिखा जा सकता है। निबंध को प्रबंध, लेख आदि नामों से पुकारा जाता है।
निबन्ध लेखन निबंध का अर्थआधुनिक निबन्धों के जन्मदाता कौन है ?निबन्ध का लक्ष्य क्या होता है?निबंध के कितने!-->!-->!-->!-->!-->…
हिन्दी व्याकरण: अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
हिन्दी व्याकरण: अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
भाषा की सुदृढ़ता, भावों की गम्भीरता और चुस्त शैली के लिए यह आवश्यक है कि लेखक शब्दों (पदों) के प्रयोग में संयम से काम ले, ताकि वह विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े-से-थोड़े शब्दों में व्यक्त कर!-->!-->!-->…
रस की व्युत्पत्ति
साहित्य को पढ़ने, सुनने या नाटकादि को देखने से जो आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं।
रस परिभाषारस की व्युत्पत्ति काव्यशास्त्र का प्रथम आचार्य कौन हैं ?रस संप्रदाय का प्रवर्तक किसे कहा जाता है ?रस की निष्पत्ति कैसी होती है ?!-->!-->!-->…
छन्द के अंग
वर्णो या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आहाद पैदा हो, तो उसे छन्द कहते है।दूसरे शब्दो में-अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्द' कहलाती है।
छन्द!-->!-->!-->…
अनेकार्थी शब्द की परिभाषा
भाषा में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है, जो अनेकार्थी होते हैं।
अनेकार्थी शब्द की परिभाषा( अ, आ )( इ, उ )( ए, ओ )( क )( ख )( ग, घ )( च, छ )( ज, ठ )( त, थ )( द )( ध, न )( प, फ )( ब, भ )( म )( य, र )( ल )( व )( श )( स )( ह )
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अव्यय की परिभाषा भेद व क्रिया विशेषण
'अव्यय' ऐसे शब्द को कहते हैं, जिसके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नही होता। ऐसे शब्द हर स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं।!-->…
लिंग
लिंग के अर्थ
'लिंग' संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'चिह्न' या 'निशान'। चिह्न या निशान किसी संज्ञा का ही होता है। 'संज्ञा' किसी वस्तु के नाम को कहते है और वस्तु या तो पुरुषजाति की होगी या स्त्रीजाति की। एक, अप्रणिवाचक!-->!-->!-->…
कारक
संज्ञा या सर्वनाम के आगे जब 'ने', 'को', 'से' आदि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही 'कारक' कहलाता हैं।
कारक परिभाषाकारक के भेद-
कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का)!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…