देवनागरी में सुधार के प्रयास / लिपि सुधार आन्दोलन

देवनागरी में सुधार के प्रयास (1) बाल गंगाधर का 'तिलक फांट' (1904-26) (2) सावरकर बंधुओं का 'अ की बारहखड़ी' (3) श्याम सुन्दर दास का पंचमाक्षर के बदले अनुस्वार के प्रयोग का सुझाव (4) गोरख प्रसाद का मात्राओं को व्यंजन के बाद

हिन्दी में लिपि चिह्न

हिन्दी में लिपि चिह्न भारतीय संघ तथा कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप हिंदी का मानक रूप निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में सर्वत्र एकरूपता रहे और टाइपराइटर आदि आधुनिक यंत्रों के उपयोग में लिपि की

देवनागरी लिपि के विशेष चिह्न और उनका प्रयोग

देवनागरी लिपि के विशेष चिह्न और उनका प्रयोग हिंदी की लिपि देवनागरी है और इसका उद्भव ब्राह्मी, गुप्त, सिद्धम, शारदा, नागरी आदि से हुआ है। इसमें 52 (13 स्वर, 33 व्यंजन, 5 यौगिक और 2 विशेष) अक्षर और कुछ मात्राएँ व चिह्न हैं, जिनका प्रयोग

ब्राह्मी लिपि से वर्तमान देवनागरी लिपि तक के विकासक्रम

ब्राह्मी लिपि से वर्तमान देवनागरी लिपि तक के विकासक्रम ब्राह्मी शब्द की व्युत्पति कई प्रकार से दी जाती है। ब्राह्मी के अस्तित्व में आने तक या साथ-साथ विश्व में चार लिपि व्यवस्थाएँ प्रतिष्ठित हो चुकी थीं। चीनी, असीरिया के

भाषा के आधार (भाषाई आधार )

भाषा के आधार भाषा के दो आधार हैं- मानसिक आधार भौतिक आधार मानसिक आधार भाषा की आत्मा है तो भौतिक आधार उसका शरीर। मानसिक आधार मानसिक आधार या आत्मा से आशय है, वे विचार या भाव जिनकी अभिव्यक्ति के लिए वक्ता भाषा का प्रयोग

भाषा विकास के रूप

भाषा विकास के रूप के बारे में जानेंगे- भाषा विकास एक प्रक्रिया है जिसे मानवीय जीवन की शुरुआत में शुरू किया जाता है। शिशुओं का विकास भाषा के बिना शुरू होता है, फिर भी 10 महीने तक, बच्चे भाषण की आवाज को अलग कर सकते हैं और वे अपनी मां की

संप्रेषण के प्रकार

संप्रेषण के प्रकार: संप्रेषण को मुख्य रुप से दो भागों में बांटा जा सकता है :- मौखिक संचार अमौखिक संचार मौखिक संप्रेषण: जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच शब्दों का प्रयोग बातचीत के लिये किया जाए, तब उसे मौखिक संप्रेषण कहते

संप्रेषण के तत्व

संप्रेषण के तत्त्व इस प्रकार हैं :- संप्रेषण द्विपक्षीय प्रकिया है: इसमें भेजने वाला और प्राप्तकर्त्ता दोनों शामिल होते हैं। जब आप अपने पिता से बात करते है, तब संप्रेषण व्यक्तिगत स्तर पर होता है। जब अध्यापक छात्रों के एक समूह से

सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा

सम्प्रेषण का अर्थ एवं परिभाषा आश्रय एवं भोजन की तरह संप्रेषण भी जीवित रहने का एक महत्वपूर्ण साधन है। संप्रेषण माध्यम जैसे पुस्तकों तथा लोगों के द्वारा हम मनोरंजन, सूचना, ज्ञान, राजनीतिक स्थिति तथा नयी फिल्मों आदि की जानकारी प्राप्त कर

दिव्या-यशपाल

'दिव्या' का कथानक बौद्धकाल की स्मृतियों पर आधारित है। 'दिव्या' यशपाल के श्रेष्ठ उपन्यासों में एक से है। इस उपन्यास में युग-युग की उस दलित-पीड़ित नारी की करुण कथा है, जो अनेकानेक संघर्षों से गुज़रती हुई अपना स्वस्थ मार्ग पहचान