भाषा के आधार (भाषाई आधार )
भाषा के आधार
भाषा के दो आधार हैं-
- मानसिक आधार
- भौतिक आधार
मानसिक आधार भाषा की आत्मा है तो भौतिक आधार उसका शरीर।
मानसिक आधार
मानसिक आधार या आत्मा से आशय है, वे विचार या भाव जिनकी अभिव्यक्ति के लिए वक्ता भाषा का प्रयोग करता है और भाषा के भौतिक आधार के सहारे श्रोता जिनको ग्रहण करता है।
भौतिक आधार
भौतिक आधार या शरीर से आशय है- भाषा में प्रयुक्त ध्वनियाँ (वर्ण, सुर और स्वराघात आदि) जो भावों और विचारों की वाहिका है, जिनका आधार लेकर वक्ता अपने विचारों याभावों को व्यक्त करता है और जिनका आधार लेकर श्रोता विचारों या भावों ग्रहण करता है।
उदाहरणार्थ,
‘सुन्दर’ का एक अर्थ है। इसके उच्चारण करने वाले के मस्तिष्क में वह अर्थ होगा और सुनने वाला भी उसे सुनकर अपने मस्तिष्क में उस अर्थ को ग्रहण कर लेगा। यही है मानसिक पक्ष।
मानसिक पक्ष सूक्ष्म है, अतः उसे किसी स्थूल का सहारा लेना पड़ता है। यह स्थूल हैं स् +उ + न् +द् + अ + र्
सुन्दर के भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए वक्ता इन ध्वनि समूहों का सहारा लेता है, और इन्हें सुनकर श्रोता ‘सुन्दर’ अर्थ ग्रहण करता है, अतएव ये ध्वनियाँ उस अर्थ की वाहिका, शरीर या भौतिक आधार हैं।
कभी-कभी इन्हीं को क्रमशः बाह्य भाषा (outerspeech) तथा आन्तरिक भाषा (innerspeech) भी कहा गया है।
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