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साहित्यकार

  हेमचन्द्र का साहित्यिक परिचय

हेमचन्द्र का साहित्यिक परिचय आचार्य हेमचंद्रका जन्म गुजरात में अहमदाबाद से १०० किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम स्थित धंधुका नगर में विक्रम संवत ११४५ के कार्तिकी पूर्णिमा की रात्रि में हुआ था। मातापिता शिवपार्वती उपासक मोढ वंशीय

अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का साहित्यिक परिचय

अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का साहित्यिक परिचय अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में कार्य किया। वे सम्मेलन द्वारा

शारंगधर का साहित्यिक परिचय

शारंगधर का साहित्यिक परिचय शारंगधर अच्छे कवि और सूत्रकार थे। इन्होंने 'शारंगधर पद्धति' के नाम से एक सुभाषित संग्रह भी बनाया है । शारंगधर का आयुर्वेद का ग्रंथ प्रसिद्ध है। रणथंभौर के सुप्रसिद्ध वीर महाराज हम्मीरदेव के प्रधान

सोमप्रभ सूरि का साहित्यिक परिचय

सोमप्रभ सूरि––ये भी एक जैन पंडित् थे। इन्होंने संवत् 1241 में "कुमारपालप्रतिबोध" नामक एक गद्यपद्यमय संस्कृत-प्राकृत-काव्य लिखा जिसमें समय समय पर हेमचंद्र द्वारा कुमारपाल को अनेक प्रकार के उपदेश दिए जाने की कथाएँ लिखी हैं। यह ग्रंथ अधिकांश

धनपाल का साहित्यिक परिचय

धनपाल अपभ्रंश कवि धनपाल ने भविसयत्त कहा (भविष्यदत्त कथा) नामक अपभ्रंश काव्य की रचना की है। उन्होंने अपने माता-पिता का नाम धनश्री एवं मातेश्वर प्रकट किया है। इनके रचनाकाल का समय १०वीं शती अनुमान किया गया है। भविसयत्त कहा

पुष्यदन्त का साहित्यिक परिचय

पुष्पदंत अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे जिनकी तीन रचनाएँ प्रकाश में आ चुकी हैं- 'महापुराण', 'जसहरचरित' (यशोधरचरित) और 'णायकुमारचरिअ' (नागकुमारचरित)। इन ग्रंथों की उत्थानिकाओं एवं प्रशस्तियों में कवि में अपना बहुत कुछ वैयक्तिक परिचय दिया है।

स्वयंभू का साहित्यिक परिचय

स्वयंभू स्वयंभू, अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे। स्वयंभू के पिता का नाम मारुतदेव और माता का पद्मिनी था। कवि ने अपने रिट्ठीमिचरिउ के आरंभ में भरत, पिंगल, भामह और दण्डी के अतिरिक्त बाण और हर्ष का भी उल्लेख किया है, जिससे उनका काल ई. की

मत्स्येन्द्रनाथ का साहित्यिक परिचय

मत्स्येन्द्रनाथ अथवा मचिन्द्रनाथ 84 महासिद्धों (बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के योगी) में से एक थे। वो गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग विद्यालय की स्थापना की। उन्हें संस्कृत में हठयोग की प्रारम्भिक रचनाओं में से एक कौलजणाननिर्णय

गोरखनाथ का साहित्यिक परिचय

गोरखनाथ या गोरक्षनाथ जी महाराज प्रथम शताब्दी के पूर्व नाथ योगी के थे. गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। रचनाएँ डॉ॰ बड़थ्वाल की खोज में निम्नलिखित 40 पुस्तकों का पता चला था, जिन्हें गोरखनाथ-रचित

दलपति विजय का साहित्यिक परिचय

दलपति विजय दलपति विजय भारतीय कवि था, जिसे खुमान रासो का रचयिता माना गया है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास में लिखा है कि "शिवसिंह सरोज के कथानुसार एक अज्ञात नामाभाट ने 'खुमान रासो' नामक ग्रन्थ लिखा था, जिसमें