ज्ञानाश्रयी शाखा/संत काव्य:-
संत काव्य के प्रतिनिधि कवि कबीर है
‘संत काव्य’ का सामान्य अर्थ है संतों के द्वारा रचा गया काव्य। लेकिन जब हिन्दी में ‘संत काव्य’ कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी कवियों के द्वारा रचा गया काव्य।
संत कवि : कबीर, नामदेव, रैदास, नानक, धर्मदास, रज्जब, मलूकदास, दादू, सुंदरदास, चरणदास, सहजोबाई आदि।
सुंदरदास को छोड़कर सभी संत कवि कामगार तबके से आते है; जैसे-कबीर (जुलाहा), नामदेव (दर्जी), रैदास (चमार), दादू (बुनकर), सेना (नाई), सदना (कसाई)
संत काव्य और उनके रचनाकार
बीजक (संकलन धर्मदास)- कबीरदास
बानी- रैदास
ग्रंथ साहिब में संकलित(संकलन-गुरु अर्जुन देव)- नानक देव
सुंदर विलाप- सुंदर दास
रत्न खान, ज्ञानबोध -मलूक दास