रस संप्रदाय भारतीय काव्यशास्त्र का सिद्धांत है जिसका उपयोग नाट्यशास्त्र में किया जाता है । रस संप्रदाय की उत्पत्ति भरतमुनि के द्वारा 200 ईसवी पूर्व समय में की गई थी । इसीलिए रस संप्रदाय के प्रवर्तक के रूप में भरतमुनि को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । उन्हीं के द्वारा रस संप्रदाय की उत्पत्ति की गई थी ।
रस के प्रकार जैसे कि करुण रस , भयानक रस , श्रृंगार रस , रौद्र रस , वीर रस , हास्य रस , अद्भुत रस , वीभत्स रस , शांत रस , वात्सल्य रस , भक्ति रस , प्रेयान रस आदि हैं ।

रससूत्र के व्याख्याता
भट्ट लोल्लट (प्रथम व्याख्याकार)- उत्पत्तिवाद या उपचयवाद
शंकुक (द्वितीय व्याख्याकार) – अनुमितिवाद या अनुकृतिवाद
भट्टनायक (तृतीय व्याख्याकार) भुक्तिवाद
अभिनवगुप्त (चतुर्थ व्याख्याकार) अभिव्यक्तिवाद
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