राम भक्ति काव्य धारा

रामाश्रयी शाखा/राम भक्ति काव्य:-

  • राम भक्ति काव्य के प्रतिनिधि कवि तुलसी दास हैं।
  • जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में राम की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे ‘रामाश्रयी शाखा’ के कवि कहलाए।
  • राम भक्त कवि हैं- रामानंद, अग्रदास, ईश्वर दास, तुलसी दास, नाभादास, केशवदास, नरहरिदास आदि।

राम भक्ति काव्य की विशेषताएँ :

  •  राम का लोक नायक रूप
  •  लोक मंगल की सिद्धि
  •  सामूहिकता पर बल
  • समन्वयवाद
  • मर्यादावाद
  •  मानवतावाद
  • काव्य-रूप-प्रबंध व मुक्तक दोनों
  • काव्य-भाषा-मुख्यतः अवधी
  •  दार्शनिक प्रतीकों की बहुलता।

राम भक्ति काव्य धारा आगे चलकर रीति काल में मर्यादावाद की लीक छोड़कर रसिकोपासना की ओर बढ़ जाती है। ‘तुलसी का सारा काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है।’ -हजारी प्रसाद द्विवेदी

‘भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो।’ -हजारी प्रसाद द्विवेदी

राम भक्ति काव्य और उनके रचनाकार

  • रामचरित मानस (प्र०), गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, कृष्ण गीतावली,पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण (प्र०), रामाज्ञा प्रश्नावली, वैराग्य संदीपनी, राम लला नहछू -तुलसीदास
  • भक्त माल -नाभादास
  • रामचन्द्रिका (प्रबंध काव्य) -केशव दास
  • पौरुषेय रामायण -नरहरि दास
  • राम आरती -रामानंद
  • रामाष्टयाम, राम भजन मंजरी- अग्र दास
  • भरत मिलाप, अंगद पैज- ईश्वर दास
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