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April 2022

सोमप्रभ सूरि का साहित्यिक परिचय

सोमप्रभ सूरि––ये भी एक जैन पंडित् थे। इन्होंने संवत् 1241 में "कुमारपालप्रतिबोध" नामक एक गद्यपद्यमय संस्कृत-प्राकृत-काव्य लिखा जिसमें समय समय पर हेमचंद्र द्वारा कुमारपाल को अनेक प्रकार के उपदेश दिए जाने की कथाएँ लिखी हैं। यह ग्रंथ अधिकांश

धनपाल का साहित्यिक परिचय

धनपाल अपभ्रंश कवि धनपाल ने भविसयत्त कहा (भविष्यदत्त कथा) नामक अपभ्रंश काव्य की रचना की है। उन्होंने अपने माता-पिता का नाम धनश्री एवं मातेश्वर प्रकट किया है। इनके रचनाकाल का समय १०वीं शती अनुमान किया गया है। भविसयत्त कहा

पुष्यदन्त का साहित्यिक परिचय

पुष्पदंत अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे जिनकी तीन रचनाएँ प्रकाश में आ चुकी हैं- 'महापुराण', 'जसहरचरित' (यशोधरचरित) और 'णायकुमारचरिअ' (नागकुमारचरित)। इन ग्रंथों की उत्थानिकाओं एवं प्रशस्तियों में कवि में अपना बहुत कुछ वैयक्तिक परिचय दिया है।

स्वयंभू का साहित्यिक परिचय

स्वयंभू स्वयंभू, अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे। स्वयंभू के पिता का नाम मारुतदेव और माता का पद्मिनी था। कवि ने अपने रिट्ठीमिचरिउ के आरंभ में भरत, पिंगल, भामह और दण्डी के अतिरिक्त बाण और हर्ष का भी उल्लेख किया है, जिससे उनका काल ई. की

मत्स्येन्द्रनाथ का साहित्यिक परिचय

मत्स्येन्द्रनाथ अथवा मचिन्द्रनाथ 84 महासिद्धों (बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के योगी) में से एक थे। वो गोरखनाथ के गुरु थे जिनके साथ उन्होंने हठयोग विद्यालय की स्थापना की। उन्हें संस्कृत में हठयोग की प्रारम्भिक रचनाओं में से एक कौलजणाननिर्णय

गोरखनाथ का साहित्यिक परिचय

गोरखनाथ या गोरक्षनाथ जी महाराज प्रथम शताब्दी के पूर्व नाथ योगी के थे. गुरु गोरखनाथ जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की। रचनाएँ डॉ॰ बड़थ्वाल की खोज में निम्नलिखित 40 पुस्तकों का पता चला था, जिन्हें गोरखनाथ-रचित

दलपति विजय का साहित्यिक परिचय

दलपति विजय दलपति विजय भारतीय कवि था, जिसे खुमान रासो का रचयिता माना गया है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास में लिखा है कि "शिवसिंह सरोज के कथानुसार एक अज्ञात नामाभाट ने 'खुमान रासो' नामक ग्रन्थ लिखा था, जिसमें

चंदरबरदाई का साहित्यिक परिचय

चंदरबरदाई का साहित्यिक परिचय चंदबरदाई (जन्म: संवत 1205 तदनुसार 1148 ई० लाहौर वर्तमान पाकिस्तान में - मृत्यु: संवत 1249 तदनुसार 1192 ई० गज़नी) हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि तथा पृथ्वीराज चौहान के मित्र थे। उन्होने पृथ्वीराज रासो

सुन्दरदास का साहित्यिक परिचय

सुन्दरदास का जन्म जयपुर राज्य की प्राचीन राजधानी दौसा में रहने वाले खंडेलवाल वैश्य परिवार में चैत्र शुक्ल 9, सं. 1653 वि. को हुआ था। माता का नाम सती और पिता का नाम परमानंद था। ६ वर्ष की अवस्था में ये प्रसिद्ध संत दादू के शिष्य बने और

वल्लभाचार्य का साहित्यिक परिचय

श्रीवल्लभाचार्यजी को वैश्वानरावतार (अग्नि का अवतार) कहा गया है। वे वेदशास्त्र में पारंगत थे। वर्तमान में इसे वल्लभसम्प्रदाय या पुष्टिमार्ग(pushtimarg) सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है। और वल्लभसम्प्रदाय वैष्णव सम्प्रदाय अन्तर्गत आते हैं।